चार्ली चैपलिन की दुनिया, मोटिवेशनल स्टोरी
ध्रुव गुप्त की कलम से
चार्ली चैपलिन विश्व सिनेमा के सबसे बड़ा विदूषक और सबसे ज्यादा चाहे गए स्वप्नदर्शी फिल्मकार थे। एक ऐसा महानायक जो अपने जीवन-काल में ही किंवदंती बना और जिसकी अदाएं उस युग की सबसे लोकप्रिय मिथक। अपने व्यक्तिगत जीवन में बेहद उदास, खंडित, दुखी और हताश चार्ली ऐसे अदाकार थे जो त्रासद से त्रासद परिस्थितियों को एक हंसते हुए बच्चे की मासूम निगाह से देख सकते थे। अपने दुखों पर भी हंस सकते थे और अपनी नाकामियों का मज़ाक उड़ा सकते थे। प्रथम विश्वयुद्ध से बुरी तरह बिखरी और हताश दुनिया में थोड़ी-सी हंसी और बहुत-सी राहत लेकर आने वाले चार्ली ने अपनी ज्यादातर फिल्मों में मेहनतकश लोगों के संघर्षों और भावनाओं को अभिव्यक्ति देने के लिए ट्रैप नाम के जिस किरदार को जीते रहे, वह वस्तुतः उनका अपना ही अभावग्रस्त अतीत था। विश्व सिनेमा पर इतना बड़ा प्रभाव उनके बाद के किसी सिनेमाई शख्सियत ने नहीं छोड़ा। हमारे राज कपूर ने कुछ फिल्मों में चार्ली के जादू को हिंदी सिनेमा के परदे पर पुनर्जीवित करने की एक कोशिश जरूर की थी। चार्ली एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार थे जिन्होंने अभिनय के अलावा अपनी फिल्मों का लेखन, निर्माण, निर्देशन और संपादन भी ख़ुद किया। करीब पांच दशक लंबे फिल्म कैरियर में चार्ली ने विश्र सिनेमा को दर्जनों कालजयी फिल्में दीं। एक मासूम सी दुनिया का ख़्वाब देखने वाली नीली, उदास और निश्छल आंखों वाले ठिंगने चार्ली चैपलिन की जयंती (16 अप्रिल) पर हमारी श्रधांजलि, उनकी आत्मकथा की कुछ पंक्तियों के साथ !
‘ज़िंदगी को क्लोज-अप में देखोगे तो यह सरासर ट्रेजडी नज़र आएगी। लॉन्ग शॉट में देखो तो यह कॉमेडी के सिवा कुछ भी नहीं। अगर आप सचमुच हंसना चाहते हो तो दर्द को झेलने की नहीं, दर्द से खेलने की आदत डाल लो !’
आभार

लेखक-
ध्रुव गुप्त ।
आईपीएस हैं। विभिन्न सरकारी सेवाओं में योगदान रहा है। जाने-माने लेखक, कवि हैं। अपनी लेखनी के जरिए समाज औऱ देश को विभिन्न मुद्दों से अवगत कराते रहते हैं।