लालच में मिलाइ जाए थोड़ी सी दुराचार..होगा फिर जो तैयार…वो…! जानने के लिए पूरी स्टोरी पढ़िए
मोतिहारी एसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा कविता शैली में बता रहे अपराध औऱ उसके इलाज का फार्मूला

नयन, पटना, मौर्य न्यूज18
आपने एक गाना सुना होगा…प्रेम पुजारी फिल्म से है…गाया है लतामंगेश्कर औऱ किशोर कुमार ने, संगीत दिया है सचिन देव बर्मन ने। और गीत के बोल हैं….
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलाई जाये, थोड़ी सी शराब
होगा यूं नशा जो तैयार, वो प्यार है….!

इस गीत को कविवर गोपालदास नीरज ने इस कदर रचा कि लोगों के जुबां पे छा गया। इस यादगार गीत की शुरूआती लाइन है… जरा गौर करिए…लिखा है
चांदनी में घोला जाए, फूलों का शबाब…।
इस लाइन को तब के सुपरस्टार अभिनेता देवानंद ने चांदनी की जगह शोखियों में घोला जाए… कर दिया..। ये तो उस जमाने की बात थी,,,लेकिन अब इस जमाने में ना कविवर नीरज हैं और ना सुपरस्टार देवानंद।

लेकिन एक शख्स हैं…बिहार के हैं। आईपीएस हैं। एसपी है, मोतिहारी जिले में पोस्टेड हैं। नाम है उपेन्द्र कुमार शर्मा। एसपी साहब ने इस गीत को साफ पलट दिया है। और इस गीत को प्यार औऱ मोहब्त की जगह अपराध और उसके इलाज के रंग में रंग दिया है।
उनकी ये शैली कितना गुल खिलाएगी ये देखने वाली बात होगी। लेकिन जो गढ़ा है वो काफी गंभीर है। और उनकी समाज के प्रति नज़रिया को भी दर्शाता है।
आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं उनकी ही लिखी शैली की पूरी वो लाइनें जो उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है।

कह सकते हैं ….
फिल्मी गाने में देवनंद ने चांदनी में घोला जाए…की जगह शोखियों में घोला जाए करवा दिया था। अब एसपी मोतिहारी ने अपराध और उसका इलाज समझाने में ना चांदनी में कुछ मिलाया और ना ही शोखियों में कुछ मिलाया ।
उन्होंने मिलाया तो लालच में दुराचार को मिलाया और अंधेरे में शिक्षा को मिलाया है। और फिर जो तैयार हुआ… उसे आप भी पढ़ेंगे तो दंग रह जाएंगे।

लालच में मिलाई जाए
थोड़ा सा दुराचार
उसमे फिर मिलाई जाए
बुद्धि का अंधकार
होगा नशा जो तैयार
वो अपराध है
अंधेरे में जलाई जाए
शिक्षा का चिराग
उसपे फिर चढ़ाई जाए
संतोष का लिहाफ़
होगी दवा जो तैयार
वो इलाज है
चिरैया हत्याकांड
5 दिनों में अपराधी जेल में
पर ये जीत नहीं
सामूहिक हार है
जब तक ऊपर की कविता की
पहली छः लाइनों का काट
आखिरी छः लाइनों से नहीं होता
हमलोग कहीं नहीं जा रहें
पुलिस और समाज
समाज और पुलिस
- उपेन्द्र कुमार शर्मा, एसपी. मोतिहारी।
जीवन के सफर में एसपी साहब की सोंच –
जाहिर है, .यहां मोतिहारी एसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा की संवाद शैली कवितामय है। जो मानवीय कृत्यों पर गहरी छाप छोड़ती दिखती है। जीवन में कब किस मोड़ पर क्या हो सकता है। ये सब साफ है। फार्मूला है आप उस फार्मूले को अपनाएंगे तो वही बन जाएंगे। मसलन, अपराधी हैं तो फार्मूला कहता है कि लालच में थोड़ा सा दुराचार मिलाया है और फिर उसमें बुद्धि का अंधकार मिल भी मिला ली है…तभी “अपराध का नशा” तैयार है। पर, ऐसा मत करिए ।
रही बात इसके इलाज की तो उसका भी फार्मूला भी साफ है…अंधेरे में जलाई जाए शिक्षा की चिराग फिर उसमें मिलाई जाए संतोष का लिहाफ फिर जो होगा तैयार वो “इलाज” है। किसका …। जाहिर है अपराध का।
अमूमन आपने किसी भी एसपी को इस तरह की शैली अपनाते ना सुना होगा, ना देखा होगा। लेकिन ये नए जमाने का टैलेंट है। एसपी साहब कवितामय अंदाज में समाज के बीच वो सब कह गए हैं जो काफी गंभीर संदेश देता है। जाहिर है ये नौजवान एसपी काबिल-ए-गौर है। काबिल-ए-तारीफ है। संघर्ष की दुनिया से उठकर समाज सुधार की वर्दी संभालने की जिम्मदेरी ले रखी है। और ऐसे में समाज के बीच बातों को कैसे रखी जाए। एक अनोखे अंदाज में परोसा है। ये आने वाले समय में निश्चित तौर पर उस पुलिस अधिकारियों के लिए भी सीख है जो अपराधियों को किसी भी रूप में थोड़ी सी लालच के लिए संरक्षण देने से बाज नहीं आते , या आदतन लाचार होते हैं औऱ मानसिक तौर पर भी सपोट करते है।

एसपी साहब की ये शैली साफ कहती है कि वो किस लेवल की सोंच रखते हैं। वो कैसी जिंदगी जी कर आगे बढ़ें हैं। और कैसा समाज बनाना चाहते हैं। एसपी साहब आपको इस कविता के लिए मौर्य न्यूज18 की ओर से सलाम !