14 सितम्बर हिंदी दिवस –
‘हिंदी दिवस’ राजभाषा हिंदी के प्रति हम हिंदीभाषियों की मौसमी भावुकता का अवसर बता रहे जाने-माने साहित्यकार डॉ ध्रुव गुप्त
‘हिंदी दिवस’ राजभाषा हिंदी के प्रति हम हिंदीभाषियों की मौसमी भावुकता का अवसर है। इस दिन सरकारी और गैरसरकारी मंचों से हिंदी की प्रशस्तियां भी गाई जाएंगी और उसकी उपेक्षा का रोना भी रोया जाएगा। जिन कुछ कमियों की वज़ह से हिंदी आजतक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित गौरव हासिल नहीं कर पाई है, उनकी बात लेकिन कोई नहीं करेगा। वह कल भी भावनाओं की भाषा थी, आज भी भावनाओं की ही भाषा है !

आज के युग में हमारी हिन्दी
हमने अपनी भाषा में कुछ अच्छा साहित्य ज़रूर लिखा, लेकिन आज के वैज्ञानिक और अर्थ-युग में किसी भाषा का सम्मान उसे बोलने वालों की संख्या और उसका साहित्य नहीं, ज्ञान-विज्ञान को आत्मसात करने और रोज़गार देने की उसकी क्षमता तय करती है। अपनी हिंदी में साहित्य के अलावा कुछ भी काम का नहीं। विज्ञान, तकनीक,प्रबंधन, अभियंत्रणा, चिकित्सा, प्रशासन, विधि जैसे विषयों की शिक्षा में हिंदी अंग्रेजी का विकल्प आज भी नहीं बन पाई है। इन विषयों पर हिंदी में इक्का-दुक्का जो किताबें उपलब्ध हैं उनका अनुवाद इतना जटिल और भ्रष्ट है कि अंग्रेजी की किताबें पढ़ लेना आपको ज्यादा सहज लगेगा। आज तक अंग्रेजी के वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों का हम ठीक से हिंदी अनुवाद भी नहीं करा सके हैं।

सच्ची बात तो यही है…
सरकार ने किराए के अनुवादकों द्वारा अंग्रेजी के तकनीकी शब्दों के जैसे अनुवाद कराए हैं, उन्हें पढ़कर हंसी छूट जाती है। हम हिन्दीभाषी अपनी भाषा के प्रति जितने भावुक हैं, काश उतने व्यवहारिक भी हो पाते ! सच तो यह है कि हममें से ‘हिंदी हिंदी’ करने वाला शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो अपनी संतानों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में नहीं पढ़ा रहा हो।

यक़ीन मानिए कि अगर अगले कुछ दशकों में हिंदी को ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी शिक्षा की भाषा के रूप में विकसित नहीं किया जा सका तो हमारी आने वाली पीढ़ियां इसे गंवारों की भाषा कहकर खारिज कर देंगी।
गेस्ट परिचय

आपने लिखा है
डॉ ध्रुव गुप्त
आप बिहार से हैं। आईपीएस हैं। पुलिस अधिकारी के तौर पर आपने देश की सेवा की है। अब हिन्दी साहित्य जगत में अपनी रचनाओं के जरिए हिन्दी की सेवा कर रहे हैं। आपकी रचना देश के विभिन्न् प्रतिष्ठत अखबारों में प्रकाशित होती रहती है। अपकी रचना देश और समाज को नई दिशा देती है। साहित्य जगत में आप प्रतिष्ठत रचनाकार हैं।