GUEST REPORT
आपातकाल-1975-77- की याद में…और भी बहुत कुछ जानने को
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर की कलम से…।


आज की पीढ़ी के पत्रकारों को कैसा लगेगा,यदि
सरकार यह आदेश दे दे कि अखबार में छपने से पहले
हर खबर की काॅपी पी.आई.बी.के अफसर के सामने प्रस्तुत करके उस पर मुहर लगवानी पड़ेगी ? जिस खबर को अफसर रिजेक्ट कर देगा,उसे नहीं छापना पड़ेगा।


कैसा लगेगा यदि आज एक लाख राजनीतिक कार्यकर्ताओं व नेताओं को अदालती सुनवाई की सुविधा दिए बिना अनिश्चितकाल के लिए जेलों में बंद कर दिया जाए ?


3.-कैसा लगेगा यदि केंद्र सरकार यह कानून पास करवा दे कि राष्ट्रपति,उप राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और स्पीकर के खिलाफ यदि कोई चुनाव याचिका है तो अब उस पर सुनवाई करने का अधिकार कोर्ट को नहीं रहेगा ?


कैसा लगेगा यदि भारत सरकार का एटाॅर्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट में खड़ा होकर यह कह दे कि यदि सरकार आज किसी की जान भी ले ले तो उसके खिलाफ अदालत से गुहार करने के जनता के अधिकार को स्थगित कर दिया गया है ?
याद रहे कि ऐसा काम अंग्रेजों ने भी नहीं किया था।

5.- जयप्रकाश नारायण और विरोधी दल के करीब सवा लाख नेताओं-कार्यकत्र्ताओं को जून,1975 में एक साथ गिरफ्तार कर लिया गया था।
जेपी ने इंदिरा सरकार से कहा था कि मेरे साथ कारावास में किसी राजनीतिक कैदी को रखा जाए।
पर, जेपी की वह मांग नहीं मानी गई।
जबकि अंग्रेजों ने जेपी की मांग पर जेल में डा.राम मनोहर लोहिया को उनके साथ रहने दिया था।
याद रहे कि जेपी की किडनी 1975 में खराब हुई थी न कि अंग्रेजों के जेल में।

आपने रिपोर्ट लिखी है…

सुरेन्द्र किशोर
आप देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं। बिहार से हैं। आप लंबे समय से पत्रकारिता की दुनिया से जुड़े हैं। आप देश के प्रतिष्ठत समाचार पत्र-पत्रिकाओं में अहम पदों पर अपना योगदान दिया है। अब भी आपकी लेखनी देश और समाज को दिशा देती है। आपका आभार।

आभार…।





