Maurya News18, Patna
Political Desk

बिहार विधानसभा में मंगलवार को वह सबकुछ हुआ जो पहले कभी न सुना गया और न ही देखा गया। विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बना लिया जाए, यह अपने आप में सन्न कर देनेवाला वाकया था और इसके बाद जो कुछ हुआ वह तो और भी हिला देनेवाला था।

जी हां, सिर्फ पुरुष विधायकों को ही नहीं बल्कि महिला विधायकों को भी जबरन खींचकर पुलिसवालों ने सदन से बाहर कर दिया।

विधानसभा परिसर मंगलवार को रणक्षेत्र में तब्दील रहा। चीख-पुकार की आवाजों से पूरा शहर गुंजायमान रहा। एक-एक कर पुलिसवाले विधायकों के हाथ-पैर पकड़कर बाहर फेंकते रहे। मानो वो कोई गाजर-मूली हों। माननीयों ने खुद भी अपने आप को कभी इतना असहज महसूस नहीं किया होगा।

वैशाली जिले के राजापाकर से जीतकर विधानसभा पहुंची कांग्रेस की विधायक प्रतिमा कुमारी तो बदहवास नजर आईं। उनकी सांसें फूल रही थीं। वे एकदम घबराई हुई थीं लेकिन नीतीश सरकार पर निशाना साधना नहीं भूलीं। आप खुद सुनिए वे क्या बोल रही हैं…
आइए थोड़ा जान लेते हैं उस कानून के बारे में जिसको लेकर बवाल मचा हुआ है…
विपक्ष का कहना है कि यह बिल नीतीश के राज में पुलिस की मनमानी को बढ़ावा देने के लिए है। अगर बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में यह पास हो जाता है तो बिहार पुलिस के पास पूरा अधिकार होगा कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के हिरासत में ले सकती है। किसी के घर या प्रतिष्ठान की तलाशी के लिए भी वारंट की जरूरत नहीं होगी।
गिरफ्तारी के बाद आरोपित के साथ जो कानूनी प्रक्रिया की जाती है, उसके लिए भी पुलिस स्वतंत्र होगी। जघन्य अपराध के लिए दंड देने का अधिकार पुलिस के पास होगा। कोर्ट भी किसी मामले में तभी दखल दे सकेगी, जब पुलिस उनसे ऐसा करने को कहेगी।

तेजस्वी यादव ने इसे काला कानून कहा था
विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव ने इस काले कानून को फाड़ने लायक कह दिया। सदन में इसकी कॉपी फाड़ कर फेंकी भी कई। इस विधेयक पर विपक्ष का कहना है कि राज्य के विकास की जरूरत और हवाई अड्डा, मेट्रो आदि प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के नाम पर यह लाया जा रहा है। बिहार सैन्य पुलिस (BMP) को इस विधेयक के जरिए पुनर्गठित करने की योजना है। किसी गलत कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट को भी संज्ञान लेने का अधिकार नहीं होगा। इसके लिए कोर्ट को सरकार से अनुमति लेनी होगी।
स्थापित नियम है कि 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार व्यक्ति की सूचना कोर्ट को दी जाती है। विधेयक में इसकी कोई चर्चा नहीं है। इस विधेयक की धारा 8 के तहत बिना वारंट के तलाशी लेने और धारा 9 में यह बात उल्लखित है कि कोई विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी, अनावश्यक विलंब के बिना गिरफ्तार व्यक्ति को किसी पुलिस अधिकारी को सौंप देगा या पुलिस अधिकारी की अनुपस्थिति में ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के प्रसंग से संबंधित परिस्थितियों के प्रतिवेदन के साथ नजदीकी पुलिस स्टेशन तक ले जाएगा या भिजवाएगा। धारा 15 में उल्लिखित है कि किसी भी अपराध का संज्ञान कोई भी न्यायालय नहीं ले सकता है।
