इस कीट के प्रबंधन के तरीके, नीचे दिए गए हैं,
पौध फुदक (प्लांटहोपर) कीट की दो प्रजातियां धान के फसलों को प्रभावित करती हैं। ब्राउन प्लांटहॉपर और व्हाइटबैक्ड प्लांटहॉपर। इस कीट का प्रकोप वर्षा आधारित और सिंचित भूमि वाली खेतों में देखने को मिलती है। निरंतर जलमग्न की स्थिती उच्च छाया और अधिक आर्द्रता इस कीट को अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। इस कीट की व्य्षक धान की पौधों का वह भाग जो जमीन से हल्की ऊपर हो, रस चूस कर अपना जीवन चक्र पूर्ण करती है। जिसके परिणाम स्वरूप फसलों में हॉपरबर्न या पीलापन, भूरापन जैसा प्रतीत होता है, और अंततः पौधे पूरी तरह से सूख जाते हैं। संक्रमित पौधों के आधारों में हनीड्यू और कालिख के के धब्बे जैसे दिखाई देती है। इस कीट के अधिक प्रकोप होने से धान की फसलों में 100% तक का नुकसान हो सकता है। इस कीट के द्वारा सीधे क्षति होने के अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रूप से भी यह कीट धान की फसलों के लिए अत्यंत नुकसानदेह क्योंकि यह कीट कई रोगों का वाहक भी है जैसे रैग्ड स्टंट या ग्रासी स्टंट वायरस।
इस कीट के नियंत्रण हेतु खरपतवार को नस्ट कर दे । धान की फसलों में मित्र कीट को बढ़ावा दें। अपने खेतों की नित्य निगरानी करें ,पौधे को पकड़ें, इसे थोड़ा सा मोड़ें, और धीरे से इसे आधार के पास टैप करके देखें कि क्या प्लांटहॉपर पानी की सतह पर गिरते हैं। लाइट ट्रैप (पानी के बर्तन के ऊपर बिजली का बल्ब या मिट्टी के तेल का दीपक) का प्रयोग करें।
यदि इन कीटों की संख्या अधिक हो तो निम्नलिखित में से किसी एक रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करना सार्थक होगा जैसे क्वीनलफ़ोस 25 ई सी का 1.5 से 2.5 ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर या साइपरमैथरीन 25 ई सी नामक दवा का 0.5 ml 1 लीटर पानी में मिलाकर या मोनोक्रोटोफॉस 30% SL का 1ml 1 लीटर पानी या बुप्रोफेजिन 15% + एसीफेट 35% WP का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।