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देश की स्वतंत्रता के बाद केवल तीन ऐसे संस्थान, जिन्हें प्लेटिनम जुबली मनाने का मिला सौभाग्य, उनमें बीआइटी मेसरा भी…

  • कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व छात्र व अंतराष्ट्रीय संबंधों के डीन प्रो. श्रद्धा शिवानी द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुई
  • हाल में उपस्थित लोगों को प्लैटिनम जुबिली समारोह के आयोजन का एक संक्षिप्त वीडियो दिखाया गया
  • बीआइटी मेसरा (BIT Mesra) भारत के पूर्वी क्षेत्र का पहला संस्थान था जिसे 1986 में मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया, अब हम यूजीसी 2023 विनियमों और यूजीसी 12बी का पालन करते हैं : कुलपति

रांची : बीआइटी मेसरा (BIT Mesra) के 71वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के कैट हाल में 15 जुलाई को किया गया, जिसकी मेजबानी मीडिया सेल के प्रमुख मृणाल पाठक द्वारा की गई। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10:30 बजे दीप प्रज्ज्वलन और संस्थान प्रार्थना के साथ हुई। कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व छात्र व अंतराष्ट्रीय संबंधों के डीन प्रो. श्रद्धा शिवानी द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुई। इसके बाद उपस्थित लोगों को प्लैटिनम जुबिली समारोह के आयोजन का एक संक्षिप्त वीडियो दिखाया गया। जिसमें बीआइटी मेसरा की उपलब्धियों को दर्शाया गया। बीआइटी मेसरा के कुलपति प्रो. इंद्रनील मन्ना ने लोगों को संबोधित करते संस्थान की प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए कहा देश की स्वतंत्रता के बाद केवल तीन संस्थान ऐसे हैं जिन्हें प्लेटिनम जुबली मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। बीआइटी मेसरा भारत के पूर्वी क्षेत्र का पहला संस्थान था जिसे 1986 में मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। अब हम यूजीसी 2023 विनियमों और यूजीसी 12बी का पालन करते हैं। हमारे सभी परिसर यूजीसी और ईआइसीटी नियमों का पूर्णतः पालन करते हैं और हमारे 90 प्रतिशत से अधिक स्नातक पाठ्यक्रम एनबीए-मान्यता प्राप्त हैं। आगे बढ़ते हुए हमारा लक्ष्य देश के सभी उद्योग क्षेत्रों और विभिन्न तकनीकी अनुसंधान क्षेत्रों में बीआइटी मेसरा की एक मजबूत उपस्थिति स्थापित करना है। इसके बाद संस्थान के जनरल परिषद् के अध्यक्ष ने संस्थान की 70 वर्षों की प्रतिष्ठा की चर्चा करते हुए उपस्थित लोगों को संबोधित किया।

इन्होंने ये कहा :

  • मुख्य अतिथि आइआइटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर (आइआइटी रुड़की, आइआइटी मंडी व आइआइएएस शिमला के पूर्व निदेशक) डा. अजीत कुमार चतुर्वेदी द्वारा संस्थान के संस्थापक दिवस के उपलक्ष्य पर भाषण दिया गया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा बीआइटी मेसरा के प्लेटिनम जुबली समारोह के इस गौरवशाली अवसर का हिस्सा बनकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। जिस तरह से इस संस्थान की स्थापना आजादी के बाद हुई, जिसमें उत्कृष्ट सुविधाएं थीं, वह राष्ट्र निर्माण की दृष्टि को दर्शाता है। मेरा मानना है कि कुछ ही समय में बीआइटी मेसरा देश के शीर्ष 20 या यहां तक कि शीर्ष 10 संस्थानों में शुमार हो जाएगा। मैं इस यात्रा के लिए सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मुख्य अतिथि डा. गणेश नटराजन ने अपने शब्दों से उपस्थित लोगों को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डा. नटराजन ने कहा 1970 का दशक, जब देश बदल रहा था उस समय बीआइटी मेसरा में आना एक अद्भुत अनुभव था। आइआइटी और आइआइएम के माध्यम से शिक्षा के बाद भी यह संस्थान मेरे जीवन में एक सार्थक स्थान रखता है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, अवसर विकसित होते रहेंगे और बीआइटी मेसरा के लिए कहूं तो मेरा मानना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमें रोक सके। आज एआइ मुख्य रूप से अमेरिका और चीन द्वारा संचालित है और हमारे जैसे पूर्व छात्रों के पास इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में योगदान करने का एक अनूठा अवसर है। जैसा कि महान संत स्वामी विवेकानंद ने कहा था उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, आइए हम सब मिलकर उस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करें।

इन्हें किया गया सम्मानित :
संस्थापक दिवस के अवसर पर संस्थान के पूर्व छात्र प्रो. प्रतीक किशोर, प्रदीप दुबे, मनीष तिवारी, अमिताभ पांडा, प्रो. नीरज वर्मा, डा. भूषण लाल करिहलू, कौशल चक्रवर्ती, भूमि भूते, अर्णव कुमार, अमन शर्मा, डा. सोमदत्त गोस्वामी व डा. दिव्या तिवारी को अपने विभाग में उन्नत कार्य करने के लिए प्रतिष्ठित पूर्व छात्र का पुरस्कार दिया गया। इसके बाद वास्तुकला विभाग के विद्यार्थियों के लिए एक विशेष पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। संस्थान के कुलसचिव प्रो. सुदीप दास द्वारा उपस्थित लोगों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।
Maurya News18 Ranchi.

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