होमखबरBAU Ranchi : शोध प्रकाशन का ज्ञान सटीक, वैध, योग्य एवं उपयोगी होना...

Latest Posts

BAU Ranchi : शोध प्रकाशन का ज्ञान सटीक, वैध, योग्य एवं उपयोगी होना आवश्यक : डा. सुजय रक्षित

– राजभवन के मार्गदर्शन पर विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन

रांची : बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची (BAU Ranchi) में राजभवन के मार्गदर्शन पर संकाय सदस्यों के गुणवत्ता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला 2023-24 का आयोजन किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में उच्च रैंकिंग जर्नल में शोध पत्र कैसे प्रकाशित करें विषय पर द्वितीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता निदेशक,  आइसीएआर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलाजी रांची डा. सुजय  रक्षित थे। उन्होंने बताया कि शोध प्रकाशन विज्ञानी प्रगति का एक अनिवार्य पहलु है। उच्च रैंकिंग वाले जर्नल में शोध पत्र में अनुसंधान का सटीक ज्ञान और शोध पत्र वैध, योग्य एवं उपयोगी होना आवश्यक है। क्योंकि शोध प्रकाशनों के माध्यम से ही नई विज्ञानी प्रगति के विषयों को बाहरी दुनिया को बताई जाती है।

डा. सुजय रक्षित ने कहा कि उच्च रैंकिंग वाले जर्नल में शोध पत्र प्रकाशित करने के सपनों को हकीकत में बदलने के लिए विज्ञानी अनुसंधान और प्रकाशन के बुनियादी सिद्धांतों का सही तरीके से पालन किया जाना आवश्यक होगा। कहा कि शोध पत्रिकाएं विज्ञानी प्रयास और उन्नति की संरक्षक हैं। उनका लक्ष्य स्थाई एवं ठोस निष्कर्षों के साथ उपयोगी शोध प्रकाशित करना होता है। जिसे सावधानीपूर्वक जांच और सत्यापन पर खरा उतरने के बाद ही सामग्री प्रकाशित करने का प्रयास करते रहते हैं। जिसका विज्ञानी समुदाय पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। शोध पत्र में नवीनता एवं मौलिकता होनी चाहिए। उच्च प्रभाव वाली पत्रिका में पांडुलिपि प्रकाशित करने की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण प्रश्न चुनने, सांख्यिकीय शक्ति के साथ एक अच्छे अध्ययन को डिजाइन करने, त्रुटिहीन अखंडता और विस्तार पर ध्यान देने के साथ काम करने, एक उत्कृष्ट पांडुलिपि लिखने, इसे सही पत्रिका में जमा करने से शुरू होती है। समीक्षक की टिप्पणियों का पूरी तरह से जवाब देना होता है।

कहा कि आपका शोध सशक्त, सांख्यिकीय तरीके के साथ अध्ययन को अच्छे से डिजाइन, विस्तार के साथ त्रुटिहीन और एक उत्कृष्ट पांडुलिपि होनी चाहिए। जो सही शोध पत्रिका में जमा करने से शुरू होती है, जहां समीक्षक की टिप्पणियों का पूरी तरह से जवाब देना जरुरी है। कहा कि शोधकर्ता को एक कहानी बताने की आवश्यकता है, जिसमें ऐसे आंकड़े चाहिए, जिन्हें आपका पाठक जल्दी से समझ सके। शोध पत्र का लेखन स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए। शोध पत्र का शीर्षक शोध विषय के उचित होनी चाहिए। शोध पत्र का सार सबसे प्रमुख अंग एवं इसका बेहतर होना सर्वाधिक जरुरी है। इसमें निष्कर्ष, प्रसंग, तालिका, ग्राफ आदि पर विशेष ध्यान देना होता है। शोधकर्ता को जर्नल के दिशा-निर्देशों को समझाने और सावधानीपूर्वक पालन करने की जरूरत होती है।

ये रहे मौजूद :
स्वागत भाषण में डीन एग्रीकल्चर डा. डीके शाही ने उच्च रैंकिंग वाले जर्नल में शोध पत्र के प्रकाशन की आवश्यकता पर जोर दिया। डा. अरविंद कुमार ने कार्यक्रम का संचालन एवं मुख्य वक्ता डा. सुजय रक्षित के जीवनी की जानकारी दी। मौके पर डा. सुशील प्रसाद, डा. पीके सिंह, डा. एमके गुप्ता, डा. एस कर्माकार, डा. मनिगोपा चक्रवर्ती, डा. राकेश कुमार, डा. नीरज कुमार, डा. सीएस महतो, डा. बीके झा सहित अनेकों शिक्षक, विज्ञानी तथा विभिन्न विभागों के शोधार्थी पीजी एवं पीएचडी छात्र छात्राएं भी मौजूद रहे।

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss