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CUJ Ranchi : स्ट्रेंथ इन डायवर्सिटी, वॉयस ऑफ तीस्ता और करम सहित तीन फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग

सीयूजे के जनसंचार विभाग द्वारा जनजातीय जीवन पर फिल्म प्रदर्शनी का आयोजन

रांची : सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (CUJ Ranchi) के जनसंचार विभाग एवं टाटा स्टील फाउंडेशन के संवाद : समुदाय के साथ द्वारा संयुक्त रूप से जनजातीय जीवन पर आधारित फिल्मों की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आदिवासी जीवन को समर्पित तीन फिल्में प्रदर्शित की गईं। जिनमें चेन्तेई खियामनिउंगन की स्ट्रेंथ इन डायवर्सिटी, मिंकेट लेप्चा की वॉयस ऑफ तीस्ता (Voice of Tista) और अखरा कम्युनिकेशन रांची (Akhara Communication Ranchi) की करम नामक फिल्मों का प्रदर्शन जनसंचार विभाग के संकाय, विद्वानों और छात्रों की उपस्थिति के बीच किया गया।

अतिथियों के औपचारिक स्वागत के साथ हुई कार्यक्रम की शुरुआत :
कार्यक्रम की शुरुआत सीयूजे (CUJ Ranchi) के जनसंचार विभाग के पूर्व एचओडी और डीन प्रोफेसर देव व्रत सिंह द्वारा अतिथियों के औपचारिक स्वागत के साथ हुई। फिल्मों के महत्व पर विचार करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि कहानी कहना मानव सभ्यता का केंद्र है। एक जनसंचार पेशेवर के रूप में हम पर फिल्मों, उपन्यासों, किताबों आदि के साथ इस परंपरा को आगे ले जाने का दायित्व है। इसके बाद टाटा स्टील फाउंडेशन के अधिकारी कुमार गौरव, सूरज गिलुआ और नीतीश कुमार का संबोधन हुआ। जिन्होंने संवाद : ए ट्राइबल कॉन्क्लेव की शुरुआत और यात्रा की जानकारी दी। औपचारिक संबोधन के बाद चेंतेई खिआम्नियुंगन की फिल्में स्ट्रेंथ इन डायवर्सिटी : स्ट्रेस-रेसिस्टेंट क्रॉप्स ऑफ नागालैंड, मिंकेट लेप्चा की वॉयस ऑफ तीस्ता, और अखरा कम्युनिकेशन की करम को प्रदर्शित किया गया। इसके बाद छात्रों और इन फिल्मों के निर्माता के बीच प्रश्नोत्तरी सत्र का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम का समापन जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृत कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुदर्शन यादव और जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृत कुमार द्वारा किया गया। जिसमें जनसंचार विभाग, सीयूजे के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार, सहायक प्रोफेसर रश्मि वर्मा एवं तकनीकी सहायक रामनिवास सुथार की सक्रिय भूमिका रही।

पारंपरिक कृषि पद्धतियों और जैविक खाद्य पदार्थों की खेती पर आधारित आधारित है फिल्म :
स्ट्रेंथ इन डाइवर्सिटी नागालैंड के खियामनियुंगन की पारंपरिक कृषि पद्धतियों और जैविक खाद्य पदार्थों की खेती पर आधारित आधारित फिल्म है। यह फिल्म पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक ज्ञान के हस्तांतरण को भी चित्रित करता है। वहीं वॉयस ऑफ तीस्ता में मिंकेट लेप्चा द्वारा सिक्किम, पश्चिम बंगाल और तीस्ता नदी में विभिन्न समूहों और समुदायों के बीच संबंधों को समझने की कोशिश की गई है। यह फिल्म स्थानीय लोगों की कमजोर और अनसुनी आवाजों का पता लगाने की कोशिश करती है। अखरा कम्युनिकेशन द्वारा करम, करम (बोलचाल की भाषा में करमा) के बारे में एक वृत्तचित्र है, जो भारतीय राज्य झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार में मनाया जाने वाला फसल उत्सव है। समुदाय के साथ की शुरुआत वर्ष 2015 में सांस्कृतिक पहचान, ज्ञान को उजागर करने और भारत में आदिवासी समुदायों के आसपास के विकास पर एक वैकल्पिक परिप्रेक्ष्य को बढ़ावा देने के माध्यम के रूप में सिनेमा की शक्ति को समझने, उपयोग करने और प्रसारित करने के इरादे से की गई थी।

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