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Jharkhand : विभिन्न मांगों को ले राज्य के 1250 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों में रही शैक्षणिक हड़ताल…

  • 25 से 30 वर्षों से बिना वेतन के चल रहे इंटरमीडिएट कालेज, उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों एवं मदरसा विद्यालयों के अधिग्रहण करने एवं तत्काल घाटा अनुदान देने समेत अन्य मांगों पर बोला हल्ला

रांची : अपनी विभिन्न मांगों और वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर राज्य के 1250 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक हड़ताल रही। 25 से 30 वर्षों से बिना वेतन के चल रहे इंटरमीडिएट कालेज, उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों एवं मदरसा विद्यालयों के अधिग्रहण करने एवं तत्काल घाटा अनुदान देने, सीएनटी (CNT) एवं एसपीटी एक्ट (SPT Act) में विभागीय संशोधन प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद में भेजने, अनुदान अधिनियम 2015 में अनुदान की राशि चौगुना करने के विभागीय प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की सहमति लेने, विभाग मे प्रस्वीकृति के लिए लंबित मामले को अविलंब निष्पादित करने की मुख्य मांग को ले वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर राज्य के 1250 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक हड़ताल रही।

जिले में भी शैक्षणिक हड़ताल का असर दिखा और स्कूल कालेज बंद रहे तथा मुख्य द्वार पर ताला लटका रहा। शिक्षक कर्मी नारा लगाते रहे कि केवल मांग है एक स्कूल कालेज हो सरकारी। शैक्षणिक हड़ताल के चलते राज्य के लगभग 3 लाख से ज्यादा छात्र छात्राओं का पठन-पाठन प्रभावित हुआ। स्कूल कालेजों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं समय पर तो आए लेकिन ताला लटका देकर निराश होकर लौट गए।

2 अगस्त को विधानसभा के सामने देंगे महाधरना :
मोर्चा के सदस्यों ने घोषणा की कि 2 अगस्त को विधानसभा के सामने महाधरना दिया जाएगा। 3 अगस्त को राज्य के 10,000 से ज्यादा शिक्षक कर्मियों एवं उसके परिवार शिक्षकों के साथ उपवास पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि गत 25 से 30 वर्षों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। राज्य सरकार साल में केवल एक बार अनुदान देती है, जो महंगाई को देखते हुए काफी कम है। स्कूल एवं इंटर कालेजों में कार्यरत शिक्षक कर्मियों को अनुदान से वेतन के रूप में 5000 से 7000 रुपये मासिक मिलते हैं।

अनुदान की राशि भी प्रत्येक वर्ष शिक्षकों को समय पर नहीं मिल पाता है।जांच के नाम पर बहुत सारे स्कूल एवं इंटर कालेजों के अनुदान को लंबित कर दिया जाता है। बार-बार जांच के नाम पर स्कूल कालेजों का दोहन होता है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के अनुदान का मामला आज तक लंबित है । वित्तीय वर्ष 2022-23 के बहुत सारे स्कूल कालेजों के अनुदान का मामला आज भी लंबित है। कभी कमरे के नाम पर, कभी विलेख के नाम पर, कभी उपयोगिता के नाम पर, कभी छात्र संख्या के नाम पर अनुदान को काट दिया जाता है। जिससे शिक्षक कर्मियों के समक्ष भुखमरी की नौबत आन पड़ी है।

राज्य सरकार ने सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में जमीन की शर्त में संशोधन का प्रस्ताव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को भेजा है । 1 माह से ज्यादा समय राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में संचिका पड़ी हुई है। उसी तरह अनुदान नियमावली 2015 में संशोधन कर अनुदान चौगुना करने के प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद विधि और वित्त को भेजना था लेकिन 4 माह से संचिका विभाग में पड़ी हुई है। मोर्चा के सदस्य इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन विशेष प्रगति नहीं हो पा रही है। बाध्य होकर मोर्चा के सदस्यों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया और 2 अगस्त को विधानसभा के सामने महा धरना देने की योजना बनाई है। मोर्चा के सदस्य 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन राजभवन के सामने विशाल प्रदर्शन करेंगे। 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा।

सहयोग पर जताया आभार :
मोर्चा के नेताओं में सुरेंद्र झा, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, मनीष कुमार, फजलुल कादरी अहमद, अरविंद सिंह, देवनाथ सिंह, नरोत्तम सिंह, कुंदन कुमार, वीरेंद्र सिंह, गणेश महतो, एनके सिंह ने राज्य भर से आए शिक्षक कर्मचारियों का आभार जताया। कहा है कि यह शिक्षक कर्मचारियों की एकता के कारण संभव हो पाया है।

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