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ध्यान (Meditation) योग से सभी पापों का होता है नाश…

नर तन की उपादेयता प्रभु भजन के साथ साथ समाजसेवा में है, पक्ष ध्यान साधना शिविर के 12वां दिन ध्यान साधना की दी गई जानकारी

रांची : रांची जिला संतमत सत्संग समिति के द्वारा महर्षि मेंही आश्रम (Maharshi menhi ashram) चुटिया में चल रहे पक्ष ध्यान साधना शिविर में प्रवचनकर्ताओं ने मानव शरीर की उपादेयता की जानकारी दी। महर्षि मेंही आश्रम चुटिया के मुख्य स्वामी पूज्य निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि मानव तन की उपादेयता प्रभु भजन में है। इस शरीर में स्वर्ग, नरक और मोक्ष में जाने का मार्ग है। गुरु युक्ति से साधन कर साधक मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान योग से सभी पापों का नाश होता है। परमात्मा की सृष्टि में मानव तन सबोत्कृष्ट है। इसको प्राप्त कर हम सबों को परमात्मा की भक्ति करने के साथ-साथ अपने माता-पिता, समाज व देश की सेवा अवश्य करनी चाहिए। जहां तक बन पड़े दीन-हीन व्यक्तियों की सहायता करना मानव-मात्र का परम कर्तव्य होना चाहिए। हमारे संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज का भी उद्घोष है कि यही मानुष देह समैया में करू परमेश्वर में प्यार…। उन्होंने कहा कि संसार के प्राय: सभी धर्मों में ध्यान की अलग  अलग पद्धति है। वैदिक धर्मावलंबी इसे ध्यान, इस्लाम धर्मावलंबी इसे मराकवाह और ईसाई धर्म वाले इसे मेडिटेशन कहते हैं।

मन को वश में करने के लिए ईश्वरवाचक नाम का जप एवं जाप से संबंधित रुप का ध्यान किया जाता है। स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश करने के लिए बिंदू ध्यान और शब्द साधना की आवश्यकता होती है। संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज ने इसी को मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टि योग और नादानुसंधान कहते हैं। ध्यान में सफलता के लिए गुरुकृपा, लगन और दृढ़ अभ्यास की आवश्यकता होती है। वहीं दूसरी ओर देवभूमि ऋषिकेश से आए स्वामी पूज्य गंगाधर जी महाराज ने सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि मानव शरीर को पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं।

मानव तन प्राप्त कर प्रभु का भजन करना चाहिए। इस शरीर में सभी देवता, सभी तीर्थ व सभी विद्याएं विद्यमान हैं। मानव तन प्राप्त कर हमें इसे सिर्फ विषयों में नहीं लगाना चाहिए वरन् निर्विषय तत्व को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। भगवान श्रीराम ने भी अपनी प्रजा को यही उपदेश दिया था। उन्होंने कहा कि मन पर विजय प्राप्त होने से सभी इंद्रियों पर काबू पाया जा सकता है। ध्यान योग के अतिरिक्त इस संसार में पाप को नाश करने वाला कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ :
15 दिवसीय साधना शिविर में पूरे झारखंड समेत बिहार से आए श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर करीब 60 साधक पिछले 15 दिनों से ध्यानाभ्यास कर रहे हैं। साथ ही सैंकड़ों श्रद्धालु सत्संग का लाभ ले रहे हैं। अब यह शिविर समापन की ओर है अतः समिति सभी श्रद्धालुओं से आग्रह करती है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में आश्रम पहुंचकर सत्संग का लाभ उठाएं एवं पुण्य के भागी बनें। स्वामी निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि समाज के युवाओं को ऐसे साधना शिविर का लाभ उठाना चाहिए। साधना शिविर में उन्हें इस बात की जानकारी मिलेगी कि अपने मन मस्तिष्क को कैसे नियंत्रित रखें। यह साधना उनके पठन पाठन के लिए भी उपयोगी
साबित होगी।

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