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TB से ग्रसित 165 मरीजों के बीच पोषण युक्त आहार फूड बास्केट का हुआ वितरण

  • टीबी मुक्त समाज बनाने में लोगों को करना चाहिए सहयोग : CDO
  • समय पर जांच और निरंतर इलाज से टीबी मुक्त हो सकते हैं लोग : डॉ. दिनेश

पूर्णिया : टीबी (यक्ष्मा) एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो माइक्रो बैक्टेरिया के कारण होती है। समय पर जांच करते हुए इलाज कराने पर लोग इससे स्वस्थ हो सकते हैं। अगर इसमें लापरवाही बरती गई तो इससे लोगों की जान को भी खतरा होता है। टीबी (TB) मुक्त भारत के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा निक्षय योजना चलाई जाती है, जिसके तहत टीबी से ग्रसित मरीजों को समय समय पर दवाई उपलब्ध कराने के साथ ही बेहतर पोषण उपलब्ध कराया जाता है। टीबी मरीजों को बेहतर पोषण उपलब्ध कराने में सहयोग करने के लिए निक्षय मित्र की भूमिका अहम होती है। इसके तहत कोई भी योग्य व्यक्ति टीबी से ग्रसित मरीजों को गोद लेकर उनके स्वस्थ होने तक उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। निक्षय योजना के तहत मंगलवार को टाटा कंपनी के बीएमडब्लू वेंचर लिमिटेड पटना के प्रतिनिधि एवं जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी (CDO) डॉ. कृष्ण मोहन दास द्वारा संयुक्त रूप से 165 टीबी मरीजों को पोषण युक्त आहार फूड बास्केट का वितरण किया गया। इस दौरान जिला यक्ष्मा केंद्र पूर्णिया में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार, एसटीएस राकेश कुमार सिंह, अनिलानंद झा, धीरज निधि, एसटीएलएस प्रिया कुमारी, टीबीएचभी राजनाथ झा, प्रशांत कुमार, टीबी चैंपियन मनेंद्र कुमार, एफओ डब्लूएचपी साक्षी गुप्ता, वर्ल्ड विजन जिला प्रतिनिधि अभय श्रीवास्तव एवं जिला यक्ष्मा केंद्र में कार्यरत अन्य स्वास्थ्य कर्मी और टीबी मरीज उपस्थित रहे।

टीबी मुक्त समाज बनाने में लोगों को करना चाहिए सहयोग :
जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी (CDO) डॉ. कृष्ण मोहन दास ने कहा कि टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसे समय रहते जांच करने और सही तरीके से इलाज करने पर ठीक किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। टीबी के लक्षण दिखाई देने पर इसकी तत्काल स्थानीय अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। टीबी की पहचान होने पर जिला यक्ष्मा कार्यालय से स्वस्थ होने के लिए आवश्यक दवाइयों का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को स्वस्थ होने के लिए पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। ऐसे में अधिक से अधिक लोग जो सक्षम हैं उन्हें स्थानीय टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लेना चाहिए और उन्हें स्वस्थ होने तक पोषण सहायता प्रदान करते हुए टीबी मुक्त समाज बनाने में सहयोग करना चाहिए। CDO डॉ कृष्ण मोहन दास ने बताया जिला यक्ष्मा केंद्र पूर्णिया द्वारा अबतक 400 निक्षय मित्रों द्वारा जिले में 2000 से अधिक टीबी मरीजों को फूड बास्केट का वितरण किया जा चुका है।

समय पर जांच और निरंतर इलाज से टीबी मुक्त हो सकते हैं :
विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि टीबी के लक्षण दिखाई देने पर लोगों द्वारा समय पर इसकी जांच कराने और निरंतर इलाज कराने पर लोग टीबी बीमारी से मुक्त हो सकते हैं। यक्ष्मा रोग आमतौर पर फेफड़ों पर आघात करता है लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में भी आघात कर सकता है। दो हफ्ते से अधिक खांसी, भूख न लगना, रात में ज्यादा पसीना आना, वजन में लगातार गिरावट आना आदि टीबी होने के लक्षण हैं। ऐसा होने पर उन्हें तत्काल अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। जांच में टीबी की पहचान होने पर मरीजों को निरंतर स्वस्थ होने तक आवश्यक दवाओं का सेवन करना चाहिए। अगर मरीज बिना अवरोध किए नियमित इलाज कराते हैं तो वे टीबी मुक्त हो सकते हैं।
Maurya News18 Purnea.

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