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शिक्षा विभाग और जैक बोर्ड की नीतियों का होगा विरोध, जानिये, 7 जून को क्या करेंगे वित्तरहित शिक्षक…

  • 7 जून के बाद वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा सीट निर्धारण के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर करेगा मामला

रांची : वित्तरहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने शिक्षा विभाग और जैक बोर्ड (JAC Board) की कारगुजारी के विरोध में मोर्चा खोल दिया है। जैक बोर्ड के द्वारा सीट निर्धारण के विरोध में मोर्चा के सदस्यों ने सड़क से न्यायालय तक संघर्ष करने का ऐलान किया है। यही नहीं 7 जून को राज्य के दस हजार वित्तरहित शिक्षक सड़क मार्च करेंगे और हाईकोट में याचिका दायर करेंगे। साथ ही जैक बोर्ड का घेराव और राजभवन के सामने महाधरना देने की भी तैयारी चल रही है। मोर्चा के कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, अरविंद सिंह, मनीष कुमार, नरोत्तम सिंह, देवनाथ सिंह, गणेश महतो, संजय कुमार, अनिल तिवारी, रघु विश्वकर्मा, मनोज कुमार तिर्की एवं रंजीत मिश्रा ने कहा है कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए और अधिग्रहण की मांग कर रहे हैं। राज्य के सभी शिक्षक रांची की सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं। कमरों की संख्या के नाम पर अनुदान को रोका जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर सरकारी विद्यालयों में न वर्ग कक्ष है न शिक्षक है, इसे कोई नहीं देख रहा है। बार-बार जांच के नाम पर वित्तरहित संस्थाओं का शोषण हो रहा है।

7 जून को अध्यक्ष मंडलों की बैठक के बाद जैक के सीट निर्धारण के फैसले के विरोध में 50 से अधिक विधायकों का हस्ताक्षर कराकर मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन को ज्ञापन सौंपा जाएगा। कहा कि इस वर्ष तीन लाख 78 हजार छात्र छात्राओं ने मैट्रिक परीक्षा पास की है। उनका नामांकन इंटर में कैसे होगा, इसकी चिंता जैक बोर्ड को नहीं है। मोर्चा ने जैक के उच्च पदस्थों से पूछा है कि नामांकन सीट निर्धारित कर दिए जाने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के कई विद्यार्थी इंटर में नामांकन नहीं ले पाएंगे। इंटर कालेजों में 600 वर्ग फीट का वर्ग कक्ष, 1000 वर्ग फीट की प्रयोगशाला, 600 वर्ग फीट का छात्र कामन रूम एवं छात्रा कामन रूम है। प्राचार्य कक्ष 600 वर्ग फीट का कार्यालय कक्ष 600 वर्ग फीट का है। मोर्चा ने विभाग को चुनौती दी है कि अगर 50 प्लस टू स्कूलों में भौतिकी और रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला हो तो सरकार जांच कर बताएं। इंटर कालेज में मानक के अनुसार सारे आधारभूत संरचना हैं। ऐसे में इंटरमीडिएट कालेजों में 384 सीटें ही आवंटित क्यों की गई जबकि जहां आधारभूत संरचना नहीं है वहां असीमित नामांकन की व्यवस्था लागू की गईं हैं।

नहीं मिलती हैं छात्र छात्राओं को सुविधा :
मोर्चा ने कहा कि जितने राजकीय प्लस टू स्कूल हैं वहां छात्र-शिक्षक अनुपात, कमरा, प्रयोगशाला एवं आधारभूत संसाधनों की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए, तब पता चल जाएगा कि छात्र शिक्षक अनुपात में राजकीय प्लस टू स्कूल में कितने शिक्षक हैं, कितने विषय के शिक्षक हैं, कितने प्रयोगशालाएं हैं और कितने बेंच डेस्क हैं। बताया गया कि 300 ऐसे प्लस टू स्कूल हैं, जिसके पास 1000 वर्ग फीट का न प्रयोगशाला है, न कोई उपकरण है। जब प्लस टू स्कूल में लैब ब्वाय एवं लैब टेक्नीशियन का पद ही नहीं है, तो प्रैक्टिकल कैसे होता है। प्लस टू स्कूल में मात्र 11 विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, उर्दू, संस्कृत, मनोविज्ञान एवं बहुत से विषयों में शिक्षक ही नहीं है, तो यह उन विषयों में पढ़ने वाले छात्र कहां जाएंगे। यही नहीं क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षक ही नहीं हैं। संथाली, बांग्ला, उड़िया की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच महीनों चलती है। केवल इंटरमीडिएट कालेज में ही इन विषयों के शिक्षक हैं। पूरे देश में एनईपी 2020 लागू हो चुकी है और अंगीभूत कालेज, डिग्री संबद्ध कालेज में नामांकन बंद हो गया है। वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार ने कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया है एवं सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजकर सभी इंटर कालेजाें को निर्देशित किया है कि चल अचल संपत्ति के साथ अपने नाम में प्लस टू स्कूल जोड़ लें।

संस्थानों में सीट निर्धारण का अधिकार जैक बोर्ड को :
झारखंड अधिविध परिषद अधिनियम 2002 एवं संशोधित अधिनियम 2006 में स्पष्ट है कि इंटरमीडिएट स्तर की संस्थानों में सीट निर्धारण का अधिकार जैक को है। जैक इंटरमीडिएट स्तर की संस्थानों में सीट निर्धारण करेगा, तो फिर विभाग को असीमित नामांकन लेने का अधिकार कहां से है। कई राजकीय प्लस टू स्कूलों में केवल कला संकाय में 2000 नामांकन ले लिए गए हैं और शिक्षक प्रत्येक विषय में केवल एक हैं, तो पढ़ाई कैसे होती है। मोर्चा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि राजकीय प्लस टू स्कूल से भी आधारभूत संरचना, छात्र अनुपात में शिक्षक, 1000 वर्ग फीट का प्रयोगशाला एवं सभी आधारभूत संरचना का संस्थाओं की जांच निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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