जिला परिषद सदस्य रजनीकांत ने यूरिया खाद की किल्लत पर उठाई आवाज
कहा- किसानों को समय रहते खाद नहीं मिला तो बर्बादी तय है ।
कहा- समय रहते नहीं चेते अधिकारी, तो आंदोलन भयाभव रूप लेगा ।
नयन, खगड़िया, मौर्य न्यूज18 ।
ये शोर । ये आवाज । ये हो हल्ला । ये हंगामा । ये जमघट । पक चुकी दाढ़ी औऱ थके हारे पांव के सहारे खड़े ये उम्रदराज बुजुर्ग पुरूष-महिलाएं । गरम खून के साथ गम खाकर आवाज उठाते ये युवा । सब किसान ही तो हैं । इस बीच खड़ा एक युवा जनप्रतिनिधि । इसी से आश लगाये । बौआ हमरो चाही । बौआ देखो ना कुछ करो ना । उम्मीदभरी ये आवाज आप गौर से सुनेंगे तो आपको रूला देगी । इनकी आंखों में आंसू नहीं हैं लेकिन यूं समझिए आंसुओं के निकलने से पहले उसे पी जा रहे । ये किसान हैं । वही किसान जो खेती करते हैं । अनाज उगाते हैं । सब्जियां उगाते हैं । गेहूं-चावल-दाल उगाते हैं । उनका ये हाल आखिर क्यों हैं । क्या कष्ट हैं इन्हें । सुनेंगे तो सुनिए …।
जी, सही सुना । यूरिया खाद के लिए ये मारा-मारी है । इन्हें खाद नहीं मिल पा रहा । कोई फ्री में खाद नहीं चाहिए । जो कीमत है सरकार की ओर से उसी कीमत पर चाहिए । लेकिन इन्हें नहीं मिल पा रहा है । मौसम बेइमान है, फसल को यूरिया खाद चाहिए, अनाज की पैदावार अच्छी हो इसके लिए यही माकूल वक्त है । जब-तब दिया नहीं जा सकता है। सो, समय निकला जा रहा औऱ फसल की खाद की मांग किसान से कर रहा । लेकिन किसान खाद कहां से लाए। डीएम साहब कुछ बोरी का इंतजाम कर देते हैं । फिर शांत हो जाते हैं । कृषि पदाधिकारी आश्वसन की घुट्टी लेकर बैठे हैं । जाइए उसी आश्वसन की घुट्टी आपको पिला देंगे । आप ठीक हुए तो ठीक नहीं तो आंदोलन करिए ।
आखिर कौन सुनेगा किसान की । कई महीनों से ये बात सुनने को मिल रही है । खाद की कालाबाजारी, काला बाजारी आखिर ये सब हो क्या रहा है । कहां ममला फंसा है । आखिर सरकार के नुमाइंदे कर क्या रहे हैं । किसान क्यों परेशान हैं । उन्हें सही रास्ता बताने या समझाने की कोशिश क्यों नहीं हो रही है । ये हाहाकर किस बात को लेकर है । क्या खगड़िया में कोई अधिकारी इसे संभाल नहीं सकते । सवाल कई हैं। किसान परेशान है । बेहाल है । बर्बादी की कागार पर है । जो शर्मनाक औऱ दुखद है । समस्या का समाधान आखिर कैसे हो । कूद पड़े हैं जिला परिषद सदस्य रजनीकांत ।
जिप सदस्य किसानों के बीच घिरें हैं। आवाज बुलंद कर रहें है । उन्होंने जो प्रेस के जरिए से कहना चाहते हैं । और जो लिखकर संवाद की है उसे पढ़िए फिर समझ में चीजें आपको आएगी ….।
पढ़िए जिला परिषद सदस्य रजनीकांत क्या कह रहे हैं …।
बताया कि जिला प्रशासन का खाद को लेकर तमाम दवा जमीनी हकीकत हवा हवाई जैसा है खाद के कमी के कारण किसान का फसल सूख रहा है समय रहते किसान को खाद उपलब्ध नहीं कराया गया तो इनका फसल बर्बाद हो जाएगा जिसका कीमत जिला प्रशासन सरकार को बड़ी रकम देकर चुकाना पड़ेगा आज अलौली प्रखंड के मोहरा घाट जैसे ही जिला परिषद सदस्य रजनीकांत कुमार पहुंचे खाद की दुकान पर पहुंचे किसान का भीड़ उमर पाड़ा दुकान पर अफरा-तफरी जैसा माहौल था दुकानदार के पास 400 बोरा खाद उपलब्ध था 500 से अधिक किसान लाइन में लगे हुए थे मोहरा घाट सहरसा जिला के सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण सहरसा के किसान दुकानदार को अधिक मूल्य पर खाद ले जाते हैं जिस कारण अस्थाई किसानों के साथ खाद की समस्या है मोहरा घाट के दुकानदार को 2000 खाद का बोरा जल्द उपलब्ध नहीं हो पाया तो किसान का फसल सूख जाएगा कृषि पदाधिकारी बड़ा होलसेलर विक्रेता के मिलीभगत से कुछ खाद व्यापारी औने पौन दाम में बेचकर मालामाल हो रहे हैं ऐसी स्थिति में खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए अलग-अलग जगहों पर मजिस्ट्रेट की तैनाती होना चाहिए तथा प्रत्येक पंचायत के किसान सलाहकार को पंचायत में सभी खाद विक्रेता के दुकान का मॉनिटरिंग करने के लिए लगाया जाना चाहिए ताकि किसान को उचित दाम पर खाद उपलब्ध हो सके ।
कुल मिलाकर किसान परेशान हैं, तो इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा । कहां मामला फंसा है । सबकुछ साफ होना चाहिए । कोई अधिकारी इस बात को लेकर किसानों के साथ अच्छे से वार्तालाप कर ठोस कदम उठाएंगे, तभी कुछ हल निकलेगा ।
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खगड़ियाऔऱ पटना से मौर्य न्यूज18 के लिए नयन की रिपोर्ट ।