- विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) पर विशेष…
- स्तनपान में भारत ने लगाई 38 स्थानों की छलांग
- स्तनपान के विश्व रैंकिंग में भारत 79 वें स्थान से उछलकर 41वें स्थान पर पहुंचा
- बिहार में भी विशेष स्तनपान दर 10 अंक सुधरा, 53.5% से बढ़कर 63.3% की हुई प्रगति
- शहरी मातृत्व की विविध चुनौतियों के बावजूद स्तनपान को है समर्थन की आवश्यकता

पूर्णिया : स्तनपान बढ़ाने और इस संबंध में माताओं के बीच जागरूकता के लिए सरकार के प्रयासों ने देश को बड़ी उपलब्धि दिलाई है। स्तनपान की विश्व रैंकिंग में भारत ने 38 स्थानों की छलांग लगाई है और 41वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग ट्रेंड्स इनिशिएटिव की असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार, स्तनपान में भारत 79 वें स्थान से उछलकर 41वें स्थान पर पहुंच गया है। इन प्रयासों का बिहार में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में बिहार में जन्म के पहले घंटे में स्तनपान की दर 23.5% थी जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 में बढ़कर यह 26.4% हो गई। इसी प्रकार छह महीने तक विशेष स्तनपान की दर 53.5% से बढ़कर 63.3% हो गई। प्रथम घंटे का स्तनपान किसी भी नवजात के लिए पहला टीका माना जाता है। मां के पीले गाढ़े दूध में कई पोषक तत्वों का समावेश होता है। एम्स, पटना में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इंदिरा प्रसाद बताती हैं कि स्तनपान नवजात शिशु को जीवन के पहले छह माह तक पूर्ण पोषण प्रदान करता है। जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और वह डायरिया, निमोनिया जैसे गंभीर संक्रमणों से सुरक्षित रहता है। इसी के मद्देनजर बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों में जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराना सुनिश्चित किया गया है। इसके लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान कक्ष स्थापित किए गए हैं। जल्द ही सभी संस्थानों को बोतल मुक्त परिसर घोषित किया जाएगा। सामुदायिक स्तर पर लोगों को स्तनपान के महत्व से अवगत कराने के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) मनाया जा रहा है। अभियान के दौरान व्यापक पैमाने पर स्तनपान के लाभ के बारे में प्रचार प्रसार किया जा रहा है। उक्त जानकारी डाॅ. प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जन पूर्णिया द्वारा दी गई है।
Maurya News18 Purnea.