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प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़, 13 अखाड़ों ने रद्द किया अमृत स्नान

– एंबुलेंस को घाट पर भेजा गया और घायलों को इलाज के लिए मेला मैदान के अंदर स्थित केंद्रीय अस्पताल ले जाया गया

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम पर बुधवार तड़के मौनी अमावस्या के मौके पर गंगा में पवित्र स्नान के लिए उमड़ी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। जिसके परिणामस्वरूप करीब 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। एंबुलेंस को घाट पर भेजा गया और घायलों को इलाज के लिए मेला मैदान के अंदर स्थित केंद्रीय अस्पताल ले जाया गया। अधिकारियों ने बताया कि कई लोगों को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के कारण भीड़ का दबाव बढ़ने पर मेला प्रशासन को लोगों को वापस भेजना पड़ा। इस भगदड़ के बाद आज होने वाला अमृत स्नान रद्द कर दिया गया है।

दूसरे घाटों पर स्नान करने की अपील :
प्रशासन ने लोगों से दूसरे घाटों पर स्नान करने की अपील की है। बताया जा रहा है कि 10 से ज्यादा डीएम इस समय महाकुंभ के हालात को संभालने में लगे हुए हैं। महाकुंभ में भगदड़ मचने के बाद पैदा हुआ हालात को कंट्रोल किया जा रहा है। साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ मेले की स्थिति के बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की, घटनाक्रम की समीक्षा की और तत्काल सहायता उपाय करने का आह्वान किया।

प्रयागराज पंचायती महानिर्वाणी के कुछ देवता आगे बढ़ गए। भीड़ अधिक होने के कारण स्थिति अनुकूल नहीं लग रही थी। इसलिए अखाड़े ने महामंडलेश्वरों के लिए स्नान रोक दिया है। ताजा जानकारी के मुताबिक संगम घाट पर पोल नंबर 90 से 118 तक भगदड़ मची थी। इस दौरान बड़ी तादाद में लोग वहां मौजूद थे। कहा जा रहा है बैरिकेड खुलने के बाद अचानक भीड़ बेकाबू हो गई। भीड़ ज्यादा होने के चलते अखाड़ों ने अमृत स्नान को रद्द किया है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी के मुताबिक अनिश्चितकालीन तक अमृत स्नान को रद्द किया गया है।

मौनी अमावस्या के दिन संगम पर स्नान करने देवता भी आते हैं :
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन को माघ अमावस्या और दर्श अमावस्या के नाम से भी बुलाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या पर संगम पर देवताओं का आगमन होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक माह के समान पुण्य मास कहा गया है। इसी महात्म्य के चलते गंगा तट पर भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर कल्पवास करते हैं।

इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि ये मौन अमवस्या है और इस व्रत को करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है। इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें।

क्यों है संगम स्नान का महत्व :
संगम में स्नान के महत्व को बताते हुए एक प्राचीन कथा का उल्लेख किया जाता है। ये कथा सागर मंथन से जुड़ी है। इसके अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गयी।

इस छीना छपटी में अमृत कलश से कुछ बूंदें छलक गईं और प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा कर गिरी। यही कारण है कि ऐसा विश्वास किया जाता है कि इन स्थानों की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।

प्रयाग में जब भी कुंभ होता है तो पूरी दुनिया से ही नहीं बल्कि समस्त लोकों से लोग संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने आते हैं। इनमें देवता ही नहीं ब्रह्मा, विष्णु व महेश यानि त्रिदेव भी शामिल हैं। ये सभी रूप बदल कर इस स्थान पर आते हैं। त्रिदेवों के बारे में प्रसिद्ध है कि वे पक्षी रूप में प्रयाग आते हैं। इसलिए इस दिन पक्षियों को चुग्गा विशेष रूप से दिया जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है सतयुग में जो पुण्य तप से मिलता है, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अनंत पुण्यदायी होगा। इस तिथि को स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए, उसमें भी इस दिन तिल दान को सर्वोत्तम कहा गया है।

इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।
Maurya News18 Prayag raj.

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