- कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा संगोष्ठी का आयोजन
- लद्दाख से लेकर पंचमहाभूत तक पटना में देश की सांस्कृतिक विरासत पर हुआ गहन संवाद

पटना : पुरातत्व निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा बिहार संग्रहालय पटना के आडिटोरियम सभागार में भारत के शैलचित्र एवं पुरातत्व विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में देशभर से पुरातत्व, इतिहास एवं शैलचित्र विषयों के विख्यात विशेषज्ञों, विद्वानों, शोधार्थियों तथा छात्रों ने सक्रिय सहभागिता की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से की गई, अतिथियों को बुके एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का स्वागत भाषण रचना पाटिल, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा दिया गया। जिसमें उन्होंने संगोष्ठी की अवधारणा, महत्व एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

शैक्षणिक सत्रों में प्रो. वीएच सोनावाने, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, बड़ोदरा विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा Glimpse of Indian Rock Art विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता एक जीवंत सभ्यता है। प्रो. बंशी लाल मल्ला, पूर्व विभागाध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली द्वारा Genesis of Indian Art विषय पर प्रस्तुति दी। सभागार में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यता है। उन्होंने कहा कि अधिकतर धर्मों में अभिव्यक्ति को तस्वीरों के मदद से प्रदर्शित किया जाता है। उन्होंने कहा भारतीय दर्शन पंच महाभूत से जुड़ा हुआ है। हम लोग प्रकृति से बहुत नजदीकी से जुड़े हुए हैं। डॉ. एसबी ओटा, सेवानिवृत्त संयुक्त महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा Earliest Inhabitants of Ladakh and Their Artistic Creativity विषय पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि लद्दाख में सबसे अधिक रॉक आर्ट है।

डॉ. ऋचा नेगी, विभागाध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली ने Rock Art and Ethnoarchaeology विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति के दौरान उन्होंने कहा कि हमारी लोक परंपरा, लोकगीत और लोककलाओं में हमारा समृद्ध इतिहास छिपा है। संगोष्ठी के दौरान उपस्थित छात्रों, शोधार्थियों और आम जनों ने विभिन्न सत्रों में अत्यंत रुचि दिखाई और संवाद-सत्रों में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का समापन सत्र अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ। इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की विशेष कार्य पदाधिकारी कहकशां द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। यह संगोष्ठी बिहार में सांस्कृतिक और पुरातात्विक चेतना को व्यापक स्तर पर जागृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई।
Maurya News18 Patna.