Ranchi : बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची (BAU) एवं पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण नई दिल्ली के संयुक्त प्रयास से एक दिवसीय जागरूकता अभियान सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सोमवार 31 जुलाई को होगा। BAU परिसर स्थित कृषि प्रेक्षागृह में सुबह 10:30 बजे से आयोजित इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि जेपीएससी अध्यक्ष डा. मैरी नीलिमा केरकेट्टा होंगी। इसके विशिष्ठ अतिथि झारखंड सरकार के अपर मुख्य वन संरक्षक डा. डीके सक्सेना एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के पूर्व कुलपति डा. एके सिंह होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पीपीवी एंड एफआरए के अध्यक्ष एवं पूर्व ICAR महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा करेंगे।
बीएयू के कुलपति डा. ओंकार नाथ सिंह की पहल पर प्रदेश में पहली बार पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001 विषय पर जागरूकता अभियान सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कुलपति ने प्रदेश के किसानों के बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए जरुरी बताया है। पीपीवी एंड एफआरए को झारखंड राज्य से विभिन्न किस्मों के 2722 आवेदन मिले हैं। प्राधिकरण ने इन आवेदन के परीक्षण के बाद कुल 90 कृषकों के किस्मों का पंजीकरण निबंधन प्रमाण-पत्र जारी किया है। प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2015 में राज्य के 5 केवीके को स्थानीय फसल सुरक्षा में विशेष योगदान के लिए पीपीवी एंड एफआरए अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
केवीके लोहरदगा के प्रयास एवं बीएयू निदेशक अनुसंधान की अनुशंसा पर लोहरदगा के किसान बंधना उरांव को स्थानीय किस्मों के संरक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट योगदान के लिए पीपीवी एंड एफआरए द्वारा पादप जीनोम संरक्षक कृषक सम्मान 2021 एवं डेढ़ लाख नगद पुरस्कार भी मिल चुका है। बीएयू के निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा. एस कर्माकार ने बताया कि इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जिलों के किसान एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के विज्ञानियों के अलावा बीएयू के पौधा प्रजनक एवं कृषि विशेषज्ञ भाग लेंगे।
दो तकनीकी सत्रों में होगा कार्यक्रम का आयोजन :
कार्यक्रम के दो तकनीकी सत्रों में पौधा किस्म संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001 विषय पर पीपीवी एंड एफआरए के अधिकारी यूके दुबे द्वारा किसानों एवं केवीके विज्ञानियों को अवगत कराया जाएगा। इन सत्रों की अध्यक्षता पीपीवी एंड एफआरए के अध्यक्ष डा. त्रिलोचन महापात्रा तथा सह अध्यक्षता बीएयू के कुलपति करेंगे। केवीके विज्ञानियों के पहले तकनीकी सत्र के संयोजक ओएसडी, आइसीएआर आइएआरआइ डा. विशाल नाथ पांडेय एवं निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा. एस कर्माकार होंगे। जबकि किसानों के दूसरे तकनीकी सत्र के संयोजक आइसीएआर आइआइएबी रांची के निदेशक डा. सुजय रक्षित एवं आइसीएआर आरसी पलांडू के प्रधान विज्ञानी एवं प्रधान डा. एके सिंह होंगे।
डा. एस कर्माकार ने बताया कि प्रदेश के किसान के यहां स्थानीय तौर पर उपलब्ध बीज में बहुत सारे अच्छे गुण मौजूद हैं। कृषक किस्में स्थानीय रूप से अनुकूलित होती है और उनमें रोग सूखा लवण अवरोधी एवं औषधीय संबंधी विशेष गुण होते हैं। इन कृषक किस्मों का प्रजनन के लिए आनुवांशिक संसाधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। पौधा किस्मों, कृषकों व पादप प्रजनकों के अधिकारों की रक्षा तथा पौधों की नई किस्मों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे देश में पीपीवी एंड एफआर अधिनियम 2001 लागू किया गया।