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RU : शिक्षा में रामत्व का अर्थ है राम के आदर्शों और मूल्यों को शिक्षा में समाहित करना, जानिये किसने कहा…

  • भारतीय शिक्षण मंडल के 56वें स्थापना दिवस पर शिक्षा में रामत्व विषयक संगोष्ठी आयोजित
  • राम की नीति सारगर्भित, राम सबके हृदय में, हम सबमें मर्यादा पुरूषोतम आ सके, इसके लिए हम सबको प्रयासरत रहना चाहिए : कुलपति

रांची : भारतीय शिक्षण मंडल, झारखंड प्रांत एवं नागपुरी विभाग रांची यूनिवर्सिटी (Ranchi University) के संयुक्त प्रयास से शहीद स्मृति सभागार (Central Library) में भारतीय शिक्षण मंडल के 56वें स्थापना दिवस के अवसर पर शिक्षा में रामत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर भारत माता व सरस्वती माता की प्रतिमा पर पुष्पार्पण से हुआ। संगठन परंपरा के तहत ध्येय श्लोक का कथन डॉ. पार्वती मुंडू एवं ध्येय वाक्य का वाचन डॉ. सुबास साहु ने किया। भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कार्यक्रम के मुख्यवक्ता डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने भारतीय शिक्षण मंडल का परिचय देते हुए संगठन के कार्यों व शाखाओं को विस्तार से बताया। संगोष्ठी का विषय शिक्षा में रामत्व के संबंध में जानकारी देते बताया कि शिक्षा में रामत्व का अर्थ है राम के आदर्शों और मूल्यों को शिक्षा में समाहित करना, जिससे विद्यार्थी चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ और समाज के प्रति संवेदनशील बनें। तब विद्यार्थी स्वहित व राष्ट्र हित सर्वपरि सोचेंगे और उसमें रमेंगे।

शिक्षा में नैतिक मूल्यों, सांस्कृतिक परंपराओं और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के बारे में आरयू के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने बताया राम की नीति सारगर्भित, राम सबके हृदय में, हम सबमें मर्यादा पुरूषोतम आ सके, इसके लिए हम सबको प्रयासरत रहना चाहिए, शिक्षा में रामत्व के लिए अब पाठ्यक्रम में भी 2040 तक हम सब डेवलप कंट्री में प्रवेश करेंगे। जहां हम छोड़कर जा रहे हैं आने वाली पीढ़ी उच्चतम शिखर मेंं पहुंचेगी। विद्यार्थी को पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए वहीं भविष्य निर्माण में सहयोग करेगा यही रामत्व कि ओर ले जाएगा। अध्यक्ष डा. उमेश नंद तिवारी ने कहा कि हम सभी में रामत्व का अंश है। राम मनुष्य तत्व के प्राणतत्व है। कोई राम के बगैर नहीं रह सकता है। शिक्षा में हमारे आचार, विचार, व्यवहार सभी में रामत्व इनसे मुक्ति नहीं। राम का जीवन समग्र शिक्षा का उदाहरण है, जिसमें वेद अध्ययन से लेकर राजकाज तक की शिक्षा सम्मिलित थी।

मंच संचालन करते हुए डॉ. जयंत कश्यप ने कहा राम और रामत्व का हम अनुसरण करेंगे जब शिक्षा में रामत्व समाहित हो, तब विद्या सिर्फ ज्ञान नहीं, संस्कार बन जाती है। भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मूल्यों का अभाव है। आरयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डा. जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि शिक्षा विकास का मूलाधार है। प्राचीन भारतीय शिक्षा मूल्य परक और नैतिकता परक थी जबकि आधुनिक शिक्षा व्यावसायिक और रोजगार परक हो गई है। शिक्षा में रामत्व का अभिप्राय उसमें मूल्यपरकता और नैतिकता का पूर्ण समावेश है। शिक्षा का उद्देश्य किसी भाषा का मनन नहीं अपितु चरित्र का गठन है। शिक्षा में रामत्व के समावेश से राम राज्य की स्थापना संभव है। कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में रामत्व के समावेश के लिए कृत संकल्पित है। श्रीराम सर्वव्यापी हैं युवाओं को उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। जल्द ही भारतीय ज्ञान परंपरा विषय को अध्ययन में सम्मिलित किया जाएगा। अध्यक्षता कर रहे नागपुरी के विभागाध्यक्ष ने कहा कि हमारा विभाग शिक्षा में रामत्व का समावेश करेगा। राम हमारे आदर्श हैं, उनका कोई विकल्प नहीं है। झारखंड की सभी भाषाओं में रामत्व की व्याप्ति है।

इनकी रही उपस्थिति :
कार्यक्रम में डा. राजा राम महतो, डा. पार्वती मुंडू, डा. सपना त्रिपाठी, डा. शशि कुमार, नीलेश कुमार, संतोषी साहु, डा. संजय सारंगी, डा. निर्मला कर्ण, डा. मनीषा सहाय सुमन, डा. राहुल कुमार, डा. जयंत कुमार, डा. संगीता कुमारी, डा. गौरव कुमार, बीएल दास, डा. नेहा भगत, प्रवीण कुमार सिंह, रोहित कुमार समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
Maurya News18 Ranchi.

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