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UPSC : सकारात्मक मेहनत के साथ परिणाम देते रहना चाहिए, सफलता जरुर मिलती है…

  • यूपीएससी की परीक्षा में 366 रैंक लाने वाले क्षितिज वर्मा ने वर्ष 2014 में जेवीएम श्यामली से दसवीं जबकि 2016 में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद इकोनामिक्स आनर्स की पढ़ाई एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा से की
  • आइएएस बनने का सपना देखने वाले क्षितिज ने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा और यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली पहुंच गए

Ranchi : UPSC की परीक्षा में 366 रैंक लाकर क्षितिज वर्मा ने जिले और राज्य का नाम रौशन किया है। वर्ष 2014 में क्षितिज ने जेवीएम श्यामली से दसवीं जबकि 2016 में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद इकोनामिक्स आनर्स की पढ़ाई एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा से की। बचपन से ही आइएएस बनने का सपना देखने वाले क्षितिज ने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा और यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली पहुंच गए। दिन रात मेहनत करने के बाद भी यूपीएससी की परीक्षा में असफल हुए और अपने तीसरे प्रयास में 366 रैंक लाकर सफलता प्राप्त की। क्षितिज इकोनामिक्स विषय में काफी रुचि रखते हैं और इसी विषय से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की और दो वर्षों तक यूपीएससी की तैयारी कर सफलता प्राप्त की। विशेष बातचीत के क्रम में उन्होंने देश और झारखंड की इकोनामी से संबंधित कई बातें कही। दशा और दिशा पर चर्चा की। कहा कि देश की इकोनामी लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ रही है जबकि झारखंड में छोटे छोटे स्टार्ट-अप के साथ साथ ट्राइबल आर्ट एंड कल्चर को बढ़ावा देने पर बल दिया। उनके पिता राजेश वर्मा राजस्व विभाग में कार्यरत थे और फिलहाल सेवानिवृत हो चुके हैं जबकि माता मधु वर्मा रांची में ही कैंब्रियन स्कूल में इंग्लिश विषय की शिक्षिका हैं। घर में पठन पाठन का माहौल रहने का भरपूर लाभ मिला। क्षितिज का कहना है कि यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए कई चुनौतियां सामने आती हैं, इससे घबराना नहीं चाहिए। लगातार अपना सकारात्मक मेहनत के साथ परिणाम देते रहना चाहिए, सफलता जरुर मिलती है…।

आइएएस नहीं मिला ताे आइआरएस को दी प्रमुखता :
आइएएस के लायक रैंक नहीं मिलने के बाद भी बुलंद हौसले के साथ क्षितिज कहते हैं कि आइआरएस यानी इंडियन रेलवे सर्विस और आइपीएस यानी इंडियन पुलिस सर्विस को प्रमुखता दी है। इन दोनों में से किसी एक को प्रमुखता देते हुए देश की सेवा करनी है।

ट्राइबल आर्ट एंड कल्चर को देना होगा बढ़ावा :
बेशक, झारखंड की पहचान खनिज संपदा से है। लेकिन ग्लोबल हो चुकी दुनिया में अब कुछ भी असंभव नहीं है। झारखंड जैसे राज्य के लिए उनकी माटी से जुड़ी जो पहचान है उसे सामने लाना होगा। इन चीजों को प्रमोट करने के साथ साथ सही तरीके से मार्केटिंग और ब्रांडिंग जरुरी है। इससे राज्य की इकोनामी को सीधा लाभ मिलेगा और वैश्विक पहचान मिलेगी। केंद्र सरकार की स्टार्ट-अप योजना झारखंड में भी देखने को मिलने लगी है। यह राज्य के लिए सकारात्मक तस्वीर है। जिसे और बढ़ावा दिए जाने की जरुरत है ताकि रोजगार के अवसर बढ़े। छोटे छोटे रोजगारपरक स्टार्ट-अप को अवसरों में बदलना होगा। झारखंड में जितने भी बड़े बड़े इंडस्ट्रियल ग्रुप्स हैं वो राज्य गठन से पूर्व के ही हैं, छोटी इंडस्ट्रीज काे भी बढ़ावा देना होगा। इस तरह के कार्याें के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरुरी है…।

डरो मत, चुनौती से लड़ो :
अपने शहर के युवाओं को संदेश देते क्षितिज कहते हैं कि यदि सपने बड़े हैं तो बेशक चुनौतियां भी सामने आएंगी, डरो मत चुनाैती से लड़ते रहो, सफलता जरुर मिलेगी…। सिलेबस को हर हाल में पूरा करना होता है और इसके साथ साथ यूपीएससी की परीक्षा के लिए सभी विषयों की समग्र जानकारी बेहद जरुरी है। सिलेबस पूरा करने के बाद ही किसी अच्छी कोचिंग संस्थान से जुड़ें, तब ही लाभ मिलेगा। कम समय में अधिक से अधिक विषयों की पढ़ाई और रिवीजन जरुरी है।

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