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BIT Mesra : 780 एकड़ में फैला है परिसर, सुरक्षा व्यवस्था को ले बढ़ रही चिंता

  • बीआईटी मेसरा के कुलपति, रजिस्ट्रार समेत अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों से जिला उपायुक्त की हो चुकी है बैठक
  • आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों द्वारा किया जा रहा है अतिक्रमण, जिला प्रशासन नहीं कर रहा कोई कार्रवाई
  • परिसर में आए दिन होती हैं चोरी व मारपीट की घटनाएं
  • बाउंड्री नहीं होने से रैंकिंग पर भी पड़ रहा असर

रांची : 780 एकड़ भू-भाग में फैले बीआईटी मेसरा (BIT Mesra) राज्य ही नहीं देश का प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। बीआईटी मेसरा राज्य का सेकेंड टाप रैंकिंग का इंजीनियरिंग संस्थान है। यह झारखंड से एकमात्र युनिवर्सिटी है जिसे एनआरईआरएफ में शामिल किया गया है। बीआईटी मेसरा देश का पहला संस्थान है, जहां स्पेस, इंजीनियरिंग एवं राकेटरी के नाम से एक विभाग है। इस विभाग की स्थापना 1964 में यानी इसरो की स्थापना से चार वर्ष पूर्व की गई थी। इन सभी पहलुओं के बावजूद रैंकिंग बढ़ाने के लिए संस्थान को सुविधाओं में सुधार लाने की आवश्यकता है। ताज्जुब की बात यह है कि इतने बड़े परिसर में स्थित होने के बाद भी आज तक न तो इस संस्थान के चारों ओर बाउंड्री का निर्माण कराया गया है और न ही प्रशासनिक स्तर पर कोई पहल की गई है। बीच बीच में जिला प्रशासन और बीआइटी मेसरा के कुलपति व रजिस्ट्रार के अलावे अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों के बीच वार्ता तो होती है लेकिन ठोस नतीजे आजतक सामने नहीं आए हैं।

रांची उपायुक्त से की है मुलाकात : कुछ दिनों पूर्व ही कुलपति प्रो. इंद्रनील मन्ना और रजिस्ट्रार डा. सुदीप दास के नेतृत्व में एक दल रांची के उपायुक्त से मुलाकात की। वस्तुस्थिति की जानकारी दी गई कागजात दिखाए गए लेकिन बाउंड्री निर्माण को अब तक गति नहीं दी गई है। लिहाजा, संस्थान की रैंकिंग पर भी इसका साफ असर पड़ता दिख रहा है। बाउंड्री नहीं होने के कारण आए दिन चोरी व मारपीट की घटनाएं होती हैं। कुछ दिनों पूर्व एक बाहरी लड़के द्वारा छेड़खानी की घटना को अंजाम दिया गया था। यही नहीं आसपास के कुछ लोगों के द्वारा जानबूझकर जमीन मामले को हवा दी जा रही है और अतिक्रमण कर लिया गया है। इसी क्रम में बीआइटी लालपुर में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते रजिस्ट्रार डा. सुदीप दास कहते हैं कि इतने बड़े परिसर के चारों ओर सुरक्षा की व्यवस्था करना टेढ़ी खीर साबित होती है। पूर्व व पश्चिम दिशा में अतिक्रमण की समस्या सबसे अधिक है। कहा कि संस्थान को क्लासरूम, अनुसंधान सुविधाओं एवं रिहायशी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए नए स्टाफ एवं छात्रों के लिए अपनी सुविधाओं को बेहतर बनाने की भी आवश्यकता है। सुरक्षा इस दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, जो हमारे लिए सबसे अधिक मायने रखती है। सुरक्षा में कमी हमारे सुधार को प्रभावित कर रही है, इसका असर न सिर्फ हमारी रैंकिंग पर हो रहा है बल्कि इससे राज्य के नाम को भी नुकसान पहुंच रहा है।

सुरक्षा बढ़ाने के लिए शुरू किया बाउंड्री का काम : गत दिनों हो हंगामे की जो स्थिति सामने आई, वह सिर्फ इसलिए है कि बीआइटी मेसरा ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए अपनी बाउंड्री का काम शुरू किया। उन्होंने कहा कि वास्तव में जमीन को लेकर कोई विवाद या भ्रम की स्थिति नहीं है। हमारे पास बीआइटी मेसरा से जमीन के सभी दस्तावेज हैं। संस्थान राजस्व से संबंधित सभी नियमों का अनुपालन करता है। ऐसे में अगर किसी को भी कोई भ्रम है तो वह सरकारी कार्यालय में जाकर सभी दस्तावेजों एवं जमीन के बारे में हर आवश्यक जानकारी हासिल कर सकता है। बीआइटी मेसरा का किसी के साथ भी कोई विवाद या दुश्मनी नहीं है। अनुसंधान सुविधाओं में सुधार लाने के लिए हमें सुरक्षा एवं अन्य कारणों को देखते हुए बाउंड्री की आवश्यकता है। इसी के मद्देनजर हम अपने परिसर की सुरक्षा को सुनिश्चित कर रहे हैं। वहीं सुरक्षा मामले के पदाधिकारी सह राकेट्री साइंस डिपार्टमेंट के हेड डा. प्रियांक कुमार ने बताया कि बाउंड्री नहीं रहने से अनुशासन पर भी असर पड़ता है। कई छात्र छात्राएं बिना बताए परिसर से बाहर तक चले जाते हैं। कैंपस में 6000 छात्र छात्राएं हैं जबकि करीब 500 स्टाफ हैं जिसमें 80 प्रतिशत स्टाफ आसपास के क्षेत्रों से हैं। बाउंड्री निर्माण होने से पठन पाठन व अनुशासन भी सुचारु रूप से देखने को मिलेगा। जगह जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं लेकिन बाउंड्री नहीं रहने के कारण कई बार इसके नकारात्मक असर भी देखने को मिलते हैं। प्रेसवार्ता के दौरान रजिस्ट्रार डा. सुदीप दास, डा. मनीष कुमार, डा. प्रियांक कुमार, डा. कीर्ति अभिषेक और अर्चना मुखर्जी शामिल रहे।

पूरे कैंपस को घेरने का लिया है निर्णय : बीआईटी मेसरा (BIT Mesra) ने अपने समूचे कैंपस को बाउंड्रीवाल से घेरने का फैसला लिया है। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है। बीआईटी मेसरा के लालपुर स्थित कैंपस में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ सुदीप दास ने कहा कि 1955 में बीआईटी की स्थापना रांची में हुई थी। 780 एकड़ में फैले इस संस्थान ने एकेडमिक और रिसर्च वर्क को लेकर निरंतर कई प्रयास किए और उसका नतीजा है कि यह अब उच्च स्तर का एकेडमिक संस्थान बन चुका है। झारखंड सहित केरल, राजस्थान सहित देश भर के स्टूडेंट्स यहां अध्ययन के लिए आते रहे हैं। यह रेसिडेंशियल इंस्टीट्यूशन है जहां करीब 6000 स्टूडेंट्स और करीब 500 स्टाफ कैंपस के अंदर हॉस्टल और क्वार्टर में रहते हैं। 80 प्रतिशत से अधिक स्टाफ तो लोकल ही हैं। यहां अब एकेडमिक और रिसर्च वर्क सहित अन्य एक्टिविटी के लिए और भी प्रयास होने हैं। ऐसे में फैकल्टी- नन फैकल्टी मेंबर्स, स्टूडेंट्स सहित अन्य की सेफ्टी भी महत्वपूर्ण है जैसे यहां 1964 में स्पेस, इंजीनियरिंग और रॉकेट्री जैसा डिपार्टमेंट भी है जिसे देश में इसरो की स्थापना से भी पहले स्थापित किया गया था। इसके जरिए कई अहम और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण रिसर्च वर्क होते रहे हैं। बताया कि पूर्व की अपेक्षा हालिया समय में सुरक्षा के नजरिए से चैलेंज बीआईटी मेसरा परिसर में बढा है। बीआईटी परिसर के आसपास बने रिंग रोड, गर्ल्स स्टूडेंट्स से छेड़खानी, मोटरसाइकिल, लैपटॉप वगैरह की चोरी और अन्य घटनाओं के चलते ऐसी स्थिति हो गई है कि कैंपस की पूरी तरह घेराबंदी करनी ही होगी। कुछ स्थानीय लोग बीआईटी परिसर की जमीन पर अपना मालिकाना हक जताने लगे हैं जबकि संस्थान के पास जमीन के पूरे कागजात हैं। जिला प्रशासन रांची के पास भी इसका रिकॉर्ड है। जमीन विवाद मामले में अमीन, मजिस्ट्रेट के सहयोग के बावजूद बीआईटी परिसर की जमीन को लेकर कुछ लोग अवैध तरीके से अवांछित गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जो चिंताजनक है। बीआईटी परिसर के चारों ओर पिछले कुछ समय से बाउंड्रीवाल को लेकर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
Maurya News18 Ranchi.

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