- विकसित भारत 2047 का सपना तभी होगा साकार जब पारिस्थितिकीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में हो संतुलन
- एक्सएलआरआइ जमशेदपुर में हुआ 12वां डॉ. वर्गीज कुरियन मेमोरियल व्याख्यान

जमशेदपुर : जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट जमशेदपुर (XLRI Jamshedpur) में 12वें डॉ. वर्गीज कुरियन मेमोरियल ऑरेशन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम फा. अरुप सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड सस्टेनेबिलिटी की ओर से टाटा ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में वन्यजीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक सह राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनोद बी. माथुर उपस्थित थे। उन्होंने विकसित भारत के लिए पारिस्थितिकीय सुरक्षा विषय पर काफी प्रभावशाली व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। इस दौरान बताया गया कि इस वार्षिक व्याख्यान का आयोजन महान समाजसेवी और भारत के श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की स्मृति में किया जाता है, जिनकी ग्रामीण विकास और सामाजिक उत्थान की दृष्टि आज भी प्रेरणा देती है।

प्रोफेसर डॉ. टाटा एल. रघुराम ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और सेंटर की ओर से चल रही सतत विकास, जलवायु संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्व की पहलों की रूपरेखा रखी। उन्होंने कहा कि विकास तभी सार्थक है जब उसमें पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक न्याय का समावेश हो। एक्सएलआरआइ की नई पहलों में सस्टेनेबल लीडरशिप पर नए डिग्री प्रोग्राम, ग्रामीण इमर्शन पहल और सीएसआर आधारित शिक्षा प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि एक्सएलआरआइ के फैकल्टी सदस्य पर्यावरण, ईएसजी और राष्ट्रीय मानकों से संबंधित नीतियों में लगातार सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

वहीं, एक्सएलआरआइ के निदेशक डॉ. (फा.) सेबेस्टियन जॉर्ज एसजे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की सतत विकास, सामाजिक न्याय और नैतिक नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराई। उन्होंने कहा कि एक्सएलआरआइ का मिशन केवल प्रबंधन शिक्षा नहीं बल्कि जिम्मेदार नेतृत्व का निर्माण है जो पर्यावरण और समाज दोनों के प्रति संवेदनशील हो। इसके बाद मुख्य वक्ता डॉ. विनोद बी. माथुर ने कहा कि भारत के विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब पारिस्थितिकीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के बीच संतुलन कायम हो। उन्होंने नेचर पॉजिटिव ग्रोथ की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हरित वित्त, नवीकरणीय ऊर्जा और प्रकृति आधारित समाधान अपनाने से न केवल रोजगार सृजन होगा बल्कि समाज की लचीलापन क्षमता भी बढ़ेगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत तभी स्थायी समृद्धि हासिल कर सकता है जब उसकी विकास यात्रा के केंद्र में पर्यावरणीय सुरक्षा हो। उन्होंने कहा कि इकोलॉजी और इकोनॉमी दोनों एक साथ चल सकते हैं। मिट्टी संरक्षण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए देश में नए सिरे से नीति निर्धारण पर भी उन्होंने बल दिया। कहा कि इसके लिए जनजागरूकता सबसे अधिक आवश्यक है।

भारत में इसकी कमी की वजह से काफी हद तक पर्यावरण संरक्षण का कार्य बखूबी नहीं हो पा रहा है। इस दौरान उन्होंने एक प्रजेंटेशन के जरिए बताया कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होती है तो यह संभावना है कि आने वाले 12 से 35 वर्षों के भीतर वैश्विक स्तर पर तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है। इसका प्रभाव जीवन पर भी पड़ेगा। इस दौरान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शानदार कार्य करने के लिए 9 मंत्र भी दिए। डॉ. माथुर ने कहा कि बिना पर्यावरण के कुछ भी संभव नहीं है। कार्यक्रम के अंत में डीन एकेडमिक्स डॉ. संजय पात्रो ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
Maurya News18 Jamshedpur.

