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BAU : अनुसंधान एवं प्रकाशन की नैतिकता में अखंडता बनाए रखना सर्वोपरि एवं एकमात्र मार्ग

  • बीएयू में अनुसंधान नीतिशास्त्र एवं प्रकाशन विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन

रांची : बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची (Birsa Agriculture University Ranchi) में अनुसंधान नीतिशास्त्र एवं प्रकाशन विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसके मुख्य वक्ता डा. सुनील कुमार दास, मुख्य वित्तीय एवं लेखा, राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान पुणे, महाराष्ट्र थे। मुख्य वक्ता ने कहा कि अनुसंधान का उद्देश्य डाटा का संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या के माध्यम से नए ज्ञान का विकास करना, समस्याओं का हल करना या मौजूदा उपलब्ध जानकारियों को मान्य करना है। अनुसंधान और प्रकाशन के मामले में किसी भी संभावित नैतिक मुद्दे पर अनुसंधान टीम के भीतर खुलकर चर्चा की जानी चाहिए। संदेह होने पर विशेषज्ञ से परामर्श लिया जाना चाहिए।

कहा कि नैतिकता जीवन में हर जगह और हरेक पहलुओं से जुड़ी है। इसी तरह अनुसंधान एवं प्रकाशन में नैतिकता समुदाय, समाज एवं देश से जुड़ा विषय है। इसमें अखंडता बनाए रखना सर्वोपरि एवं एकमात्र मार्ग है। बताया कि शोधकर्ताओं, पीजी एवं पीएचडी छात्र छात्राओं के लिए अनुसंधान नैतिकता को बनाए रखना और प्रकाशन की नैतिक प्रथाओं का पालन भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे प्रकाशन अभ्यास यह गारंटी देता है कि उनके निष्कर्षों से ज्ञान में वृद्धि और बड़े पैमाने पर विज्ञानी जगत द्वारा देखा जाएगा। कहा कि शोधकर्ताओं, पीजी एवं पीएचडी छात्र छात्राएं अनुसंधान एवं प्रकाशन की नैतिकता का सावधानीपूर्वक पालन कर और नैतिक मानदंडों को बनाए रखते हुए देश, समाज एवं समुदाय को अपने संबंधित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निष्कर्ष एवं समाधान से प्रभावित कर सकते हैं।

बीएयू के कुलपति डा. ओंकार नाथ सिंह ने शोधकर्ताओं, पीजी एवं पीएचडी छात्र छात्राओं को अनुसंधान की नैतिकता एवं शोध विषयों के प्रकाशन में ईमानदारी, विश्वास एवं अखंडता को बनाए रखने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह नियमित प्रयास बौद्धिक संपदा के सृजन में काफी मददगार होगी।

इनका रहा सहयोग :
आइसीएआर नाहेप कास्ट परियोजना के तहत आयोजित विशेष व्याख्यान सीरीज का आयोजन कृषि संकाय प्रेक्षागृह में किया गया। व्याख्यान का संचालन डा. बीके अग्रवाल एवं मुख्य वक्ता का परिचय डा. अरविंद कुमार ने कराया। स्वागत नाहेप कास्ट परियोजना अन्वेषक डा. एमएस मल्लिक एवं धन्यवाद डीन एग्रीकल्चर डा. डीके शाही ने दिया। मौके पर डा. सुशील प्रसाद, डा. एमके गुप्ता, डा. एस कर्माकार, डा. एके सिंह, डा. राकेश कुमार, डीके रूसिया, डा. कौशल कुमार, डा. नीरज कुमार, एचएन दास सहित बीएयू के प्राध्यापक, विज्ञानी एवं छात्र छात्राओं के अलावा डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के भी पीजी छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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