Home खबर उदारता और सहनशीलता के प्रतीक थे गुरूजी : प्रो. शाहिद हसन

उदारता और सहनशीलता के प्रतीक थे गुरूजी : प्रो. शाहिद हसन

  • आइझ राइत कर बियारी राहुर संगे करेक प्लान है…
  • आज गुरुजी हमारे बीच नहीं है, मगर एक अद्भुत विरासत झारखंडी जनता के बीच छोड़ गए

रांची : आज गुरुजी हमारे बीच नहीं है। मगर एक अद्भुत विरासत झारखंडी जनता के बीच छोड़ गए। बात 15 मई 1990 की है, दूसरे दिन झारखंड विषयक समिति की रिपोर्ट गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को सौंपनी थी। हम सभी सदस्य एक साथ होटल रायल में शाम की चाय पी रहे थे। डा. रामदयाल मुंडा ने सादरी में मुझसे कहा, आइझ राइत कर बियारी राहुर संगे करेक प्लान है…। मैंने प्रोफेसर लाल चंद्र चूड़ामणि नाथ शाहदेव की ओर देखा और उन्होंने हां कह दी…। उक्त बातें प्रो. शाहिद हसन ने बीते दिनों को याद करते हुए साझा की। उन्होंने कहा हम दोनों सदान विकास परिषद् के प्रतिनिधि के रूप में छोटानागपुर और संथाल परगना को मिलाकर 13 जिलों के झारखंड के पक्षधर थे जबकि बाकी सदस्य बिहार बंगाल, ओडिशा, मध्यप्रदेश के 22 जिलों को मिलाकर अलग राज्य निर्माण की वकालत कर रहे थे। गुरुजी से मेरी बात हो चुकी थी, हम दोनों बिहार के विभाजन के पक्ष में थे। उन्होंने मुझसे कहा कि शाहिद हसन आप दोनों जो अच्छा समझते हैं अनुशंसा कीजिए…। डा. अमर कुमार सिंह द्वारा 22 जिलों के अलग झारखंड राज्य के निर्माण के अनुरोध के बाद भी हमदोनों युक्तिसंगत कारण बताते हुए उनके प्रस्ताव के बावजूद बिहार के 13 जिलों को मिला कर ही अलग झारखंड राज्य के निर्माण की अनुशंषा की। बाद में गुरुजी ने हम दोनों के निर्णय की सराहना भी की। मतभेदों में भी सहमति और संतुलन खोजने की उनकी क्षमता और अद्भुत उदारता ही उन्हें एक जननेता से बढ़कर महानायक बनाती है।

संघर्ष के साथ साथ शिक्षा पर भी रहे केंद्रित :
प्रो. शाहिद हसन ने बीते दिनों को याद करते हुए बताया कि दिशोम गुरु का आधा जीवन संघर्षों से भरा रहा। इसी दौरान वे अपने समाज के लोगों को शिक्षित और संगठित बनने का भी संदेश दिया। शिबू सोरेन संथाली समेत सभी जनजातीय भाषाओं के प्रचार प्रसार के पक्षधर रहे। उन्हें एकेडमिक और नान-एकेडमिक लोगों की पहचान थी। यही कारण है कि पहले चरण में कम समय के लिए सीएम बनने के दौरान उन्होंने राज्य में शैक्षणिक व्यवस्था को पटरी पर लाने का भरपूर प्रयास किया। पठन पाठन को बढ़ावा देेने के लिए हमेशा मेरी और प्रोफेसर लाल चंद्र चूड़ामणि नाथ शाहदेव की सलाह लेते रहे। वहीं, झामुमो नेता फागू बेसरा ने भी दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि राज्य के गठन के साथ साथ विकास कार्यों में गुरुजी का विशेष योगदान रहा है।
Maurya News18 Ranchi.

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