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Engineer’s Day : इंजीनियरिंग केवल तकनीकी ज्ञान नहीं बल्कि यह समाज और राष्ट्र की सेवा का है माध्यम…

&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के योगदान के कारण केंद्र सरकार ने उनके जन्मदिवस को अभियंता दिवस घोषित किया<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>उन्होंने कृष्णराज सागर बांध का निर्माण कराया&comma; जो उस समय एशिया का सबसे बड़ा जलाशय था<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>सिंचाई व्यवस्था&comma; बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में उनका कार्य आज भी प्रेरणास्रोत है<&sol;li>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<li>इंजीनियरिंग केवल मशीनों की भाषा नहीं बल्कि मानवीय जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया भी है &colon; डा&period; गौरीशंकर<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanews18&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2025&sol;09&sol;1000041094-676x1024&period;jpg" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-4493"&sol;><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>रांची &colon; <&sol;strong>अभियंता दिवस भारतरत्न से सम्मानित महान अभियंता और देश के आधुनिक विश्वकर्मा मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। उनका जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर &lpar;कर्नाटक&rpar; में हुआ था। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के कारण केंद्र सरकार ने उनके जन्मदिवस को अभियंता दिवस घोषित किया। उन्होंने कृष्णराज सागर बांध का निर्माण कराया&comma; जो उस समय एशिया का सबसे बड़ा जलाशय था। सिंचाई व्यवस्था&comma; बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में उनका कार्य आज भी प्रेरणास्रोत है। वे न केवल एक कुशल अभियंता थे बल्कि एक दूरदर्शी योजनाकार और महान राष्ट्रभक्त भी थे। उन्हें 1955 में भारतरत्न से सम्मानित किया गया। अभियंता दिवस केवल एक स्मृति दिवस नहीं बल्कि यह हम सभी को यह याद दिलाने का अवसर है कि अभियंता किसी भी राष्ट्र की प्रगति में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चाहे वह सड़कें हों&comma; पुल हों&comma; इमारतें हों&comma; मशीनें हों या फिर सूचना प्रौद्योगिकी के नए नए आविष्कार हर क्षेत्र में अभियंता समाज के विकास की नींव रखते हैं। आज इंजीनियरिंग केवल पारंपरिक निर्माण कार्य तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ गया है। बता दें कि कृषि&comma; चिकित्सा&comma; अंतरिक्ष&comma; रक्षा&comma; ऊर्जा&comma; पर्यावरण संरक्षण&comma; सूचना और संचार तकनीक हर क्षेत्र में बीआइटी मेसरा के अभियंताओं ने योगदान दिया है। डिजिटल भारत&comma; स्मार्ट सिटी&comma; ग्रीन एनर्जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी परियोजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब हमारे अभियंता अपनी प्रतिभा और नवाचार का परिचय देेते हैं। अभियंता दिवस हमें सिखाता है कि अभियंत्रण केवल तकनीकी ज्ञान नहीं है बल्कि यह समाज और राष्ट्र की सेवा का माध्यम है। युवा अभियंताओं के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। यह दिवस उन्हें प्रेरित करता है कि वे केवल नौकरी करने तक सीमित न रहें बल्कि शोध&comma; आविष्कार और उद्यमिता के माध्यम से समाज को नई दिशा दें। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने कहा था स्वयं के लिए नहीं&comma; अपितु राष्ट्र के लिए कार्य करो। इस अवसर पर हमने उन इंजीनियर्स की तलाश की जो आज भी नवाचार और शोध के बल पर समाज को नई दिशा दे रहे हैं…<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-full"><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanews18&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2025&sol;09&sol;1000027169&period;jpg" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-4494"&sol;><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>BIT Mesra के विज्ञानी कर रहे अदृश्य प्लास्टिक प्रदूषण का अध्ययन &colon;<&sol;strong><br>माइक्रोप्लास्टिक कहे जाने वाले सूक्ष्म प्लास्टिक कण अब हर जगह पाए जा रहे हैं। समुद्रों और नदियों से लेकर कृषि भूमि और यहां तक कि मानव शरीर में भी। बीआईटी मेसरा में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डा&period; सुकल्याण चक्रवर्ती यह समझने के लिए शोध कर रहे हैं कि ये कण कैसे फैलते हैं और इनसे क्या जोखिम पैदा होते हैं। उनकी टीम ने हाल ही में रांची में तीन पेयजल जलाशयों का अध्ययन किया और पाया कि उन सभी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद हैं। इन कणों में रेशे&comma; फिल्म&comma; टुकड़े और फोम शामिल थे&comma; जिनमें से दो जलाशयों को उच्च जोखिम वाले के रूप में चिह्नित किया गया था। उन्नत प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चला है कि इनमें से अधिकांश प्लास्टिक पीईटी और एचडीपीई जैसी सामान्य सामग्रियों से आते हैं&comma; जिनका उपयोग अक्सर पैकेजिंग में किया जाता है। डा&period; चक्रवर्ती ने कृषि भूमि का भी अध्ययन किया&comma; जहां प्लास्टिक मल्च और सीवेज कीचड़ के उपयोग से प्लास्टिक संदूषण बढ़ा है। उनके शोध से पता चलता है कि मिट्टी में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक अक्सर भारी धातुएं ले जाते हैं&comma; जो मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। टीम ने इन तरल पदार्थों में सूक्ष्म प्लास्टिक कणों की खोज की&comma; जिससे चिकित्सा उपचार के दौरान मरीजों के प्लास्टिक के सीधे संपर्क में आने की चिंता बढ़ गई। उनके समीक्षा कार्य में बताया गया है कि कैसे सीवेज में मौजूद सूक्ष्म प्लास्टिक वायरस के वाहक के रूप में कार्य कर सकते हैं&comma; जिससे जन स्वास्थ्य के लिए नई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। इन अध्ययनों को समर्थन देने के लिए केंद्र सरकार ने माइक्रोप्लास्टिक अनुसंधान के लिए बीआईटी मेसरा की प्रयोगशाला सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए फंड उपलब्ध कराया है। डा&period; चक्रवर्ती का कार्य न केवल रांची और झारखंड के लिए लाभकारी है बल्कि संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप स्वच्छ जल और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र प्राप्त करने के वैश्विक प्रयासों में भी योगदान देता है। अपने शोध के माध्यम से डा&period; चक्रवर्ती अपनी प्रयोगशाला को अदृश्य प्लास्टिक प्रदूषण के विरुद्ध वैश्विक लड़ाई में एक उत्कृष्टता केंद्र बना रहे हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanews18&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2025&sol;09&sol;1000041121-836x1024&period;jpg" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-4495"&sol;><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>आधुनिक इंजीनियरिंग के कई क्षेत्रों में डाल रहे प्रभाव &colon;<&sol;strong><br>बीआईटी मेसरा &lpar;BIT Mesra&rpar; के डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग में सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत डा&period; गौरीशंकर गुप्ता एक ऐसे शोधकर्ता जिनके कार्य आधुनिक इंजीनियरिंग के कई क्षेत्रों में प्रभाव डाल रहे हैं। बातचीत के क्रम में डा&period; गौरीशंकर गुप्ता ने बताया कि उनका शोध पावर इलेक्ट्रानिक्स&comma; माइक्रोग्रिड नियंत्रण&comma; ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस &lpar;BCI&rpar; और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस &lpar;AI&rpar; आधारित अनुप्रयोगों पर केंद्रित है। उनके शोध पत्र में इसका उल्लेख किया गया है कि इंजीनियरिंग केवल मशीनों की भाषा नहीं बल्कि मानवीय जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया भी है। पावर इलेक्ट्रानिक्स और माइक्रोग्रिड पर उनके काम ने इन्वर्टर नियंत्रण&comma; ग्रिड स्थिरता और डेटा-आधारित माडलिंग में नई दिशा दी है। ए युनिफाइड नोवल कूपमैन बेस्ड माडल प्रीडिक्टिव कंट्रोल और स्टेबिलिटी माडलिंग&comma; एनालायसिस एंड कंट्रोल ग्रिड &&num;8211&semi; फालोइंग एंड ग्रिड फार्मिंग इंवर्टर्स जैसे शोध पत्र नवीकरणीय ऊर्जा&comma; स्मार्ट ग्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक के स्थिर संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी तरह ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस पर उनका शोध दिव्यांगजनों और न्यूरो-एड सिस्टम के लिए नई संभावनाएं खोलता है। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस कंट्रोल्ड आटोमैटिक इलेक्ट्रिक ड्राइव फार न्यूरो ऐड सिस्टम और ईईजी सिग्नलों पर किए गए अन्य अध्ययन इस क्षेत्र में अग्रणी माने जा रहे हैं। उन्होंने आक्यूलर आर्टिफैक्ट हटाने और फीचर एक्सट्रैक्शन जैसे जटिल मुद्दों पर भी काम किया है&comma; जिससे मस्तिष्क और मशीन के बीच तालमेल बनाना और आसान हुआ है। एआइ और मशीन लर्निंग में उनके योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एलएसटीएम-यूकेएफ फ्रेमवर्क फार एन इफेक्टिव ग्लोबल लैंड ओसिएन इंडेक्स टेम्प्रेचर प्रीडिक्शन जैसे पेपर यह दर्शाते हैं कि एआइ जलवायु पूर्वानुमान और पर्यावरणीय अध्ययन में उपयोगी हो सकता है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए आइओटी आधारित स्मार्ट एप्लिकेशन और फसल रोग पहचान के माडल भी विकसित किए हैं। इंजीनियर दिवस पर डा&period; गौरीशंकर गुप्ता कहते हैं कि आज जब ऊर्जा संकट&comma; पर्यावरणीय असंतुलन और स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां सामने हैं तो उनका काम इस बात का प्रमाण है कि समर्पण और नवाचार से किसी भी चुनौती का समाधान संभव है।<br><strong>Maurya News18 Ranchi&period;<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;

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