बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया तो जदयू ने भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद सदस्य का उम्मीदवार ।
पटना, बिहार। मौर्य न्यूज़18 ।
बिहार में इन दिनों कुशवाहा पॉलिटिक्स चरम पर है । लोकसभा चुनाव में जिस तरह से महागठबंधन के नेता लालू प्रसाद यादव ने सात कुशवाहा को टिकट देकर सनसनी फैला दी, जिसका असर चुनाव में दिखा भी, कुशवाहा एनडीए से हटकर महागठबंधन की ओर भी चले गए। तब से बिहार एनडीए में खलबली मची हुई है ।
मुझे खुशी है कि एनडीए ने बीजेपी कोटे से राज्यसभा सदस्य का उम्मीदवार बनाया । सभी नेताओं को धन्यवाद।
Upendra Kushwaha
अब उसी रणनीति को बिहार एनडीए फेल करने के लिए दो और कुशवाहा को मैदान में उतार दिया है । एक तो बीजेपी खेमे से खबर आई कि राष्ट्रीय लोक मोर्चा के संस्थापक नेता उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा सांसद बनाने का फैसला किया है और उन्हें अपने बीजेपी कोटे से उम्मीदवार बनाया है ।
उसी दिन थोड़ी देर बाद खबर आई कि बीजेपी की राह पर जदयू भी विधान परिषद सदस्य के तौर पर खाली सीट से भगवान सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है ।
यानी एनडीए खेमा कुशवाहा का वोट बंटे नहीं । खेमेबाजी ना हो, सिर्फ सम्राट चौधरी के बूते ना रहा जाए ये एक और चाल चल दी है । जाहिर है आने वाले विधान सभा चुनाव को देखते हुए ये सब किया जा रहा है ।
अब देखना होगा बिहार में दूसरी तरफ महागठबंधन के सबसे बड़े चाणक्य लालू यादव आगे की रणनीति के लिए क्या दाव खेलते हैं ।
यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि बीजेपी ने जब उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा से भेजने का फैसला ले लिया तो फिर जदयू भी किसी कुशवाहा को ही विधान परिषद से भेजने का फैसला क्यों किया , किसी और को भी भेज सकते थें । इससे पहले जदयू ने अपने कोटे से विधान परिषद सदस्य रहे संजय कुमार झा को राज्यसभा से भेजा था , जो फॉरवर्ड कास्ट से आते हैं , जो बीजेपी के मजबूत और भरोसे मंद वोटर हैं । फिर नीतीश कुमार ने ये वाला दाव क्यों चला ? अब जब बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को आगे किया तो उन्होंने भी कुशवाहा को ही आगे बढ़ा दिया ।
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार जदयू को लव कुश वाली पार्टी होने का टैग खोना नहीं चाहते । शायद वो ये भी नहीं चाहते कि फॉरवर्ड वोटर्स के लिए में सिर्फ बीजेपी पर निर्भर रहूँ। ताकि कल को पाला बदला जाए तो हमारे पास अपर जाति के बीच जाकर कुछ कहने के लिए ना रहूं ।
और बीजेपी भी नहीं चाहती कि कुशवाहा जाति के वोट के लिए सिर्फ जदयू पर निर्भर रहूं । ये सब निर्णय साफ करता है कि एनडीए बिहार खेमे के दो बड़े दल बीजेपी और जदयू इन सब मामले में खुद ही को बुलंद रखना चाहती है।
साफ है कि बिहार में एनडीए की सरकार बनाने के लिए बीजेपी जदयू हाथ तो मिला ली है …पर अंदर से दिल नहीं मिला है…भरोसा कायम नहीं है । टूट के बाद भी रणनीति कमजोर ना कर सके ।
कुल मिलाकर कहें तो बीजेपी जेडीयू ने अपनी अपनी राजनीति भी खुद के दम पर तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है । बिहार का चुनाव कई मायनों में अहम होने वाली है । जदयू 43 सीट से आगे दमखम के साथ सत्ता में बने रहना चाहती है ताकि पाला किसी का हो अपनी ताकत बनी रहे , अपनी पूछ बनी रहे ।
पॉलिटिक्स अभी और भी है आप बने रहिए मौर्य न्यूज़18 के साथ ।
पटना से नयन की रिपोर्ट ।