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Ranchi University में है नियमित शिक्षकों का टोटा, शोध कार्य हो रहे प्रभावित…

सभी अहर्ताएं पूरी करने के बाद भी शोधार्थियों को न तो गाइड और न ही अन्य सुविधाएं ही मिल पाती हैं, पीजी विभागों में कुल 210 नियमित शिक्षकों की तुलना में सिर्फ 140 शिक्षक ही नियमित रुप से सेवा दे रहे हैं

रांची : एक ओर जहां रांची यूनिवर्सिटी (Ranchi University) और डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (DSPMU) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) को लागू करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। वहीं दूसरी ओर इन शैक्षणिक संस्थानों से पीएचडी डिग्री (PHD Degree) हासिल करने वाले शोधार्थियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। सभी अहर्ताओं को पूरी करने के बाद भी शोधार्थियों को न तो गाइड (Guide) और न ही अन्य सुविधाएं ही मिल पाती हैं। जबकि यूजीसी के द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार एक असिस्टेंट प्रोफेसर एक साथ चार पीएचडी, एक एसोसिएट प्रोफेसर एक साथ छह और एक प्रोफेसर एक साथ आठ पीएचडी करा सकता है। जबकि आरयू के विभिन्न पीजी डिपार्टमेंट (PG Department) में नियमित शिक्षकों की संख्या आवंटित पद से कम है। पीजी विभागों में कुल 210 नियमित शिक्षकों की तुलना में सिर्फ 140 शिक्षक ही नियमित रुप से सेवा दे रहे हैं। बाकी शिक्षकों की नियुक्ति अब तक नहीं हो पाई है। बता दें कि प्रतिवर्ष सिर्फ आरयू (RU) से औसतन 200 शोधार्थियों को डिग्री मिल रही हैं जबकि 300 से अधिक शोधार्थी अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। इन आंकड़ों को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि शोधार्थी व गाइड की संख्या का अनुपात क्या है। युनिवर्सिटी सुपरवाइजरी वर्क के लिए विभिन्न अंगीभूत कालेजों के प्रोफेसरों की मदद लेती है। आरयू में पीएचडी (PHD) एडमिशन के लिए कुल 30 विषयों में 1254 सीटें आवंटित हैं। इन 30 विषयों में से कई विषयों में एक भी सीट खाली नहीं रहती है और कुछ विषयों में तो सीटों की संख्या 100 से भी ज्यादा है।

पिछले वर्ष भी हुई थी परेशानी : 
आरयू (Ranchi University) ने सभी विषयों में रिक्तियों के आधार पर प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई है। शोध कर्ताओं का मार्गदर्शन करने के लिए योग्य शिक्षक भी तैनात किए जा रहे हैं। लेकिन पूर्व में आरयू बिना किसी ठोस योजना के पीएचडी एंट्रेंस आयोजित करती थी। प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले सभी उम्मीदवारों को पीएचडी के लिए योग्य घोषित किया गया। जिसके परिणामस्वरूप पांच साल पहले आयोजित अंतिम प्रवेश परीक्षा तक बड़ी संख्या में उम्मीदवारों का चयन हुआ। चूंकि अभ्यर्थियों की संख्या अधिक थी इसलिए उनमें से कई को अपने शोध के लिए गाइड नहीं मिल सका। आरयू ने पीएचडी के लिए यूनिवर्सिटी शिक्षकों के लिए पीएचडी कराने के लिए एक कोटा तय कर दिया। यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार एक असिस्टेंट प्रोफेसर एक साथ चार पीएचडी, एक एसोसिएट प्रोफेसर एक साथ छह और एक प्रोफेसर एक साथ आठ पीएचडी करा सकता है।

आरयू (Ranchi University) में ये हैं विषयवार सीटें :
पीएचडी (PHD) में विषयवार सीटें, मानवविज्ञान 29, वनस्पति विज्ञान 185, बंगाली 6, रसायन विज्ञान 66, वाणिज्य 49, अंग्रेजी 104, अर्थशास्त्र 110, भूविज्ञान 37, भूगोल 77, हिंदी 137, इतिहास 116, गृह विज्ञान 85, गणित 15, राजनीति विज्ञान 14, दर्शन 36, मनोविज्ञान 41, भौतिकी 14, समाजशास्त्र 59, प्राणी शास्त्र 31, उर्दू 14 समेत टीआरएल के अन्य विषयों में भी सीटें आवंटित हैं।

ये है डीएसपीएमयू (DSPMU Ranchi) की स्थिति :
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी युनिवर्सिटी रांची में सामान्य वर्ग के शोधार्थियों के लिए 55 प्रतिशत, एससी-एसटी कैटेगरी के
विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत अंक पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट में शामिल होने के लिए निर्धारित किया गया है। पीएचडी कोर्स में एंथ्रोपोलाजी के लिए 11, अंग्रेजी 5, भूगोल 2, हिंदी 2, फिलासफी 0, पालिटिकल साइंस 4, साइकोलाजी 4, संस्कृत 8, पीआरएल 5, बाटनी 24, केमिस्ट्री 6, मैथमेटिक्स 4, फिजिक्स 6, जूलाजी 8, उर्दू 5, इतिहास 4, सेल्फ फाइनेंसिंग वोकेशनल कोर्स के एमसीए के लिए 3 और एनवायरमेंटल साइंस के लिए 3 सीटें आवंटित हैं।

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