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जानिये ! तालियों की गड़गड़ाहट के बीच चार राज्याें के कितने छात्रों को राज्यपाल ने दिया प्रशस्ति पत्र…

  • रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट सभागार में दिनभर बना रहा उत्सवी माहौल
  • पारंपरिक तरीके से किया गया अतिथियों का स्वागत
  • मौके पर अतिथियों ने एनएसडीसी डिजिटल ग्रामीण उद्योग पहल की वेबसाइट की भी शुरुआत की

रांची । ग्रामीण उद्यमिता एवं कौशल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जनजातीय युवकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस, कौशल विकास और उद्यमशीलता एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी, राष्ट्रीय महामंत्री बीएल सतोष, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सीईओ वेदमनी तिवारी ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित कर किया। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच राज्यपाल ने झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व ओड़िसा के 165 छात्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। वहीं प्रशस्ति पत्र मिलने के बाद सभी स्किल्ड छात्रों ने सरकारी नीतियों की जहां सराहना की वहीं राज्यपाल ने उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं दी। आरयू के आर्यभट्ट सभागार में दिनभर उत्सवी माहौल बना रहा। वहीं छात्र छात्राओं ने अतिथियों का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया। मौके पर अतिथियों ने एनएसडीसी डिजिटल ग्रामीण उद्योग पहल की वेबसाइट की भी शुरुआत की।

पलायन रोकने के लिए ऐसी योजनाएं जरुरी :
मौजूद लोगों को संबोधित करते राज्यपाल ने कहा कि संसदीय संकुल विकास परियोजना के तहत जनजातीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के ऐसी योजनाएं बेहद जरुरी है। ग्रामीण उद्यमिता एवं कौशल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जनजातीय युवकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री तथा सचिव व उनकी टीम को बधाई देता हूं। साथ ही राज्य में प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए युवा विकास सोसाइटी एवं सेवा भारती संस्थान भी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा इस उद्देश्य के साथ झारखंड राज्य का गठन किया गया था कि यहां के सभी वर्गों का सम्यक विकास हो। शासन की दूरी कम हो और प्राकृतिक एवं खनिज संपदा से भरपूर यह राज्य प्रगति के पथ पर तेजी से अग्रसर हों और इसकी गणना विकसित राज्यों की श्रेणी में हो। जनजातियों का इतिहास गौरवशाली और समृद्ध रहा है। अति प्राचीन काल से ही जनजाति समुदाय भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं। विश्व स्तर पर इसकी पहचान रही है। प्रत्येक जनजातीय बहुल राज्य के जिलों, पंचायतों एवं कस्बों का अध्ययन करने के बाद सभी गांवों में ग्राम विकास समिति का गठन संसदीय संकुल विकास परियोजना के माध्यम से किया गया है। कहा कि गांव की आवश्यकता गांव से ही पूरा हो। आज गांव में दूध नहीं मिलेगा और शहर में 24 घंटे उपलब्ध है। एक समय था कि गांव में सिर्फ नमक खरीदते थे। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि अधिक-से-अधिक युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करें। उनमें प्रतियोगितात्मक भावना विकसित हो। वे ज्ञानवान हो और नैतिकता एवं आदर्शों को समझें। डिग्री अर्जित करने से ही सिर्फ नौकरी नहीं मिलेगी, जब तक कि हुनर न हो।

देशभर में 3 करोड़ से अधिक युवाओं को जोड़ा जा चुका है :
राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर ऐसे आयोजनों का होना अपने आप में महान कार्य है। खासकर जनजातीय विकास को लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। कौशल विकास और स्टार्ट-अप के माध्यम से हमलोग देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। 2015 से अब तक इस योजना के तहत देशभर में 3 करोड़ से अधिक युवाओं को जोड़ा जा चुका है। जो कि अपने आप में किसी रिकार्ड से कम नहीं है। हालांकि कोविड काल ने इस कार्य में कुछ बाधा जरुर पहुंचाया लेकिन हमलोग देश को आत्मनिर्भर बनाने में लगे हैं। मल्टी स्किलिंग को लेकर विशेष टीम तैयार की गई है। जो कि हरेक प्रांत व जिलों में कार्यरत है। लोकल स्किल को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि लोकल इकानोमी के साथ साथ आमजनों का विकास हो सके।

ट्रेनिंग के बाद असल संघर्ष बाकी :
राष्ट्रीय महामंत्री बीएल सतोष ने कहा कि चार प्रदेशों के युवाओं को एक छत के नीचे सम्मानित होता देख काफी प्रसन्नता हो रही है। हमें यह तय करना होगा कि ऐसी योजनाएं सिर्फ फाइलों तक ही सीमित न रहे। बल्कि इसके क्रियान्वयन के लिए शासन व प्रशासन को समाज के अंतिम पायदान तक जाना होगा। ताकि देश का समग्र विकास हो सके। सभी 165 युवाओं ने भले अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली हो लेकिन असल संघर्ष अभी बाकी है।

250 युवाओं का प्रशिक्षण सेवा भारती रांची में चल रहा है :
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सीईओ वेदमनी तिवारी ने कहा कि देश में संसदीय संकुल परियोजना का क्रियान्वयन विभिन्न राज्यों के जनजातीय संकुलों में संचालित है। परियोजना के माध्यम से वर्तमान में लगभग 77 हजार परिवारों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। इससे हजारों परिवारों को किसान क्रेडिट कार्ड एवं आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा गया है। इन परियोजनाओं के माध्यम से वर्तमान में लगभग 15 हजार किसानों की आजीविका संवर्द्धन एवं पलायन रोकने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा चुकी है। परियोजना लगभग 643 जनजातीय गांवों में पलायन रोकने एवं आजीविका संवर्द्धन के लिए कार्य कर रही है। इस परियोजना के माध्यम से 5 लाख जनजातीय युवाओं का उद्यमिता विकास करने का लक्ष्य रखा गया है। जिनमें से 132 युवा प्रशिक्षण क्रिस्प भोपाल एवं 250 युवाओं का प्रशिक्षण सेवा भारती रांची में चल रहा है। संसदीय संकुल विकास परियोजना के माध्यम से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं जैसे किसान क्रेडिट कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पशु किसान क्रेडिट कार्ड, मत्स्य कार्ड आदि योजनाओं को विकास सहभागियों के माध्यम से अपने संकुल के सभी गांवों तक पहुंचाया जाता है।

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