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25 वर्षों से स्वास्थ्य, वैलनेस, उद्यमिता तथा देश के सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने का हो रहा प्रयास, जाने कहां…

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&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>डीएक्सएन इंडिया परिवार के साथ बड़ी संख्या में लोगों की जीवनशैली और आर्थिक समृद्धि में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>रांची &colon; <&sol;strong>वैश्विक स्तर पर आर्थिक समृद्धि का परचम लहराने वाला डीएक्सएन इंडिया &lpar;DXN India&rpar; अपना सिल्वर जुबली &lpar;Silver Jubilee&rpar; मना रहा है। जो लगातार 25 वर्षों से स्वास्थ्य&comma; वैलनेस&comma; उद्यमिता तथा भारत के सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने का सार्थक प्रयास कर रहा है। आज डीएक्सएन इंडिया परिवार के साथ बड़ी संख्या में लोगों की जीवनशैली और आर्थिक समृद्धि में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। 25 वर्षों के गौरवशाली विकास की उपलब्धि पर 9 दिसंबर को रांची के प्रभात तारा मैदान में सिल्वर जुबली समारोह आयोजित हुआ। जिसमें नेपाल सहित भारत के विभिन्न राज्यों से 1 लाख से ज्यादा डीएक्सएन से जुड़े लोग शामिल हुए। डीएक्सएन से जुड़े लोगों में से सैकड़ो लोग लाखों रुपए की प्रतिमाह आमदनी कर रहे हैं। उनमें से कई सदस्यों को यहां सम्मानित किया गया। डीएक्सएन वैश्विक स्तर पर 562 उत्पाद के साथ बाजार में मौजूद है जिसमें न्यूट्रास्यूटिकल्स&comma; पेय पदार्थ&comma; कॉस्मेटिक&comma; घरेलू उत्पाद और नैनो समाधान शामिल है। डीएक्सएन दुनिया का सबसे बड़ा गैनोडर्मा&comma; स्पिरुलिना और नोनी उत्पादक है जिसके आधुनिक कारखाने मलेशिया&comma; चीन&comma; मैक्सिको&comma; मध्य पूर्व&comma; इंडोनेशिया&comma; बांग्लादेश&comma; नेपाल और भारत में विस्तारित है। 1993 में मलेशिया में स्थापित डीएक्सएन 180 देश के साथ भारत में 1999 से अपना व्यवसाय शुरू किया। वर्तमान समय में भारत में लगभग 500 करोड़ का निवेश है&comma; जिसमें सिद्धिपेट&comma; तेलंगाना में 189919 वर्गमीटर में 355 करोड़ की लागत से निर्मित आधुनिक उत्पादक केंद्र संचालित है। डीएक्सएन के संस्थापक दातू लिम सियाओ जिन ने प्रयास किया है कि आर्थिक उत्पादन के साथ-साथ प्राचीन भारत के सांस्कृतिक विरासत को फिर से भारत को लौटाया जाए। इसके लिए नालंदा विश्वविद्यालय में बख्तियार खिलजी द्वारा जलाए गए ग्रंथों के मूल तथ्य को चीन से संग्रहित कर विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। क्योंकि ग्रंथों में सन्निहित बातो को चीन के छात्रों द्वारा कंठस्थ कर लिया गया था और उसे अपने देश में जाकर लिपिबद्ध कर लिया गया था। अब फिर से उसे विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कर भारत को सौंपा जाएगा। सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए डीएक्सएन द्वारा वन डॉलर वन चाइल्ड के तहत कुपोषित बच्चों के जीवन स्तर सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। डीएक्सएन का स्पिरुलिना पौष्टिक इम्युनिटी देकर एक मिलियन बच्चों का कुपोषण दूर करना है। लोगों से अपील की गई कि इस मूवमेंट में शामिल हो।<br>Maurya News18 Ranchi&period;<&sol;p>&NewLine;

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