Home खबर यथार्थ, संवेदना और नूतन दृष्टि से बनती हैं कविताएं…

यथार्थ, संवेदना और नूतन दृष्टि से बनती हैं कविताएं…

  • अछूत नहीं हूं मैं…कविता-संग्रह का किया लोकार्पण
  • शहर के प्रख्यात रचनाकारों का लगा जमावड़ा

रांची : रांची प्रेस क्लब में युवा कवि व पत्रकार प्रणव प्रियदर्शी का कविता संग्रह अछूत नहीं हूं मैं…का लोकार्पण किया गया। बिहार सरकार के राजभाषा विभाग ने इस किताब की पांडुलिपि का चयन प्रकाशन अनुदान योजना के तहत किया था। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि प्रणव की कविताएं यथार्थ, संवेदना और राजनैतिक दृष्टि से युक्त हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी ने की। प्रमुख वक्ताओं में ऋता शुक्ल, विद्याभूषण, शंभु बादल, माया प्रसाद, पंकज मित्र और नीलोत्पल रमेश शामिल थे। साहित्यकार ऋता शुक्ल ने कहा कि प्रणव की कविताएं अपने आसपास के सरोकार को उकेरती हुई विस्तृत फलक पर उतरती हैं। वहीं शंभु बादल ने कहा कि प्रणव साधरण के असाधारण कवि हैं। पूर्ण संवेदनशीलता के साथ जीवन जीना इनका स्वभाव है। वरिष्ठ साहित्यकार विद्याभूषण ने कहा कि हर समय का अपना-अपना यथार्थ होता है। इस संग्रह में समय के यथार्थ को बारीकी से उकेरने का प्रयास किया गया है। माया प्रसाद ने कहा कि संग्रह की कुछ कविताएं चौंकाती हैं तो कुछ अनोखे आस्वाद से भर देती हैं। नीलोत्पल रमेश ने कविताओं के हरेक पक्ष पर अपनी बातें रखीं। वहीं पंकज मित्र ने कई कविताओं की पंक्ति को पढ़कर उनकी सूक्ष्म व्याख्या की।

इन्होंने किया कविता पाठ
इस दौरान सुशील अंकन, नीरज नीर, सरोज झा झारखंडी, सुनील सिंह बादल, सदानंद सिंह यादव और रजनी शर्मा चंदा ने पुस्तक में शामिल कविताओं का पाठ भी किया। काव्य पाठ करने वालों का स्वागत उत्कर्ष मोहन ने बुके देकर किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत महाकवि विद्यापति की भगवती वंदना-जै जै भरवि असुर भयाउनि…गाकर की गई। इसका गायन चंचल झा और बांसुरी वादन हर्ष मोहन झा ने किया। अतिथियों का स्वागत मैथिल परंपरा के अनुसार पाग-दोपटा से किया गया। स्वागत भाषण मैथिली साहित्य के कवि डा कृष्ण मोहन झा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुक्ति शाहदेव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उत्पल कुमार ने किया।

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