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BAU : हर्बल एवं आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए बिरसा हर्बोटेक फार्मेसी प्रारंभ, डा. कौशल कुमार बने मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी

  • हर्बल एवं आयुर्वेदिक उत्पादों का लाइसेंस प्राप्त करने और अन्य प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए बीएयू ने बिरसा हर्बोटेक फार्मेसी प्रारंभ किया है

रांची : बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची (Birsa Agriculture University Ranchi) ने आयुर्वेदिक औषधीय क्षेत्र में अनेकों उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं। कुलपति डा. ओंकार नाथ सिंह की पहल पर अब औषधीय महत्व के इन हर्बल एवं आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण एवं विपणन की दिशा में तैयारी शुरू की गई है। इन हर्बल एवं आयुर्वेदिक उत्पादों का लाइसेंस प्राप्त करने और अन्य प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए बीएयू ने बिरसा हर्बोटेक फार्मेसी प्रारंभ किया है। फार्मेसी की गतिविधियों में तेजी लाने के लिए वानिकी संकाय के वनोत्पाद एवं वन उपयोगिता विभाग के वरीय विज्ञानी एवं सह प्राध्यापक डा. कौशल कुमार को इसका मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी (सीईओ) बनाया गया है। इस बाबत निदेशक प्रशासन डा. सुशील प्रसाद ने आदेश जारी किया है। गत दिनों कुलपति की अध्यक्षता में बीएयू के वरीय पदाधिकारियों की बैठक में हर्बल एवं आयुर्वेदिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बिरसा हर्बोटेक फार्मेसी प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया था। कुलपति ने इसे औषधीय महत्व के हितकारी उत्पादों के माध्यम से सुरक्षित स्वास्थ्य के लिए बीएयू की अनूठी पहल एवं ऐतिहासिक कदम बताया है। कुलपति ने बताया कि पहली बार बीएयू के हर्बल फार्मूलेशन बिरसिन एवं बिरसोल को पेटेंट मिला है और दोनों उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन को बढ़ावा मिलेगा।

कार्यरत हुआ गिलोय प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र :
फार्मसी के सीईओ डा. कौशल कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाइ) के सहयोग से स्थापित गिलोय प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र सुचारू रूप से कार्य करने लगा है। केंद्र में अत्याधुनिक मशीन एवं संयंत्र स्थापित किए गए हैं। केंद्र का उपयोग बिरसा हर्बोटेक फार्मेसी की गतिविधियों में किया जाएगा।बताया कि कुलपति के मार्गदर्शन विगत वर्षों में झारखंड के किसान वनोषधियों की खेती की ओर उन्मुख हुए। राज्य के किसानों को वनोषधियों के व्यावसायिक महत्व एवं विज्ञानी विधि से खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित एलोवेरा एवं गिलोय विलेज के माध्यम से राज्य में एलोवेरा एवं गिलोय की खेती ने रफ्तार पकड़ी है। कहा कि गिलोय प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के साथ साथ फार्मेसी प्रारंभ किए जाने से वनोषधियों की खेती से जुड़े किसानों को समय समय पर प्रशिक्षित तथा नवीनतम हर्बल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी से अवगत कराने में सुविधा होगी। किसानों द्वारा उगाए गए हर्बल उत्पादों से हर्बल एवं आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण एवं विपणन को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्थर पर बढ़ावा मिलेगा। वनोषधियों की खेती से झारखंड के किसानों को आजीविका का नवीन क्षेत्र मिलेगा और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

फार्मेसी के तहत पहले चरण में गिलोय, एलोवेरा व अर्जुन आधारित वटी, कैप्सूल, जूस, सीरप आदि तैयार किए जाएंगे। फार्मेसी में अनुसंधान एवं विकास भी किए जाएंगे। फार्मेसी में गुणवत्ता के हरेक पहलुओं एवं मापदंडों पर कार्य तथा इसके पालन का ध्यान रखा जाएगा। अन्य वनोषधियों पर अनुसंधान एवं विकास के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। सभी उत्पाद आयुष मंत्रालय की आयुर्वेदिक फार्माकोपिया के गाइडलाइन के अनुसार तथा गुणवत्ता की सभी मानदंडों एवं मानकीकरण के अनुरूप रखे जाएंगे।
: डा. ओंकार नाथ सिंह, कुलपति, बीएयू रांची।

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