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IIM Ranchi के शोध पत्रों को 40 से अधिक देशों से मिल रही सराहना, 1.2 लाख से अधिक किया गया डाउनलोड

&NewLine;<p>&&num;8211&semi; शोधार्थी अकादमिक जगत के सिपाही&comma; जो दृढ़ता के साथ नया दृष्टिकोण करते हैं पेश &colon; डा&period; चरण सिंह<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>&&num;8211&semi; आइआइएम रांची में मना द प्रैकैडमिक एज के थीम पर मना रिसर्च स्कालर्स डे 2025<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>&&num;8211&semi; संस्थान के शोध पत्रों को 40 से अधिक देशों से मिल रही सराहना&comma; 1&period;2 लाख से अधिक किया गया डाउनलोड<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanews18&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2025&sol;10&sol;1000135448-1024x685&period;jpg" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-4626"&sol;><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>रांची &colon; <&sol;strong>आइआइएम रांची &lpar;IIM Ranchi&rpar; में द प्रैकैडमिक एज &colon; टर्निंग रिसर्च इंटू रियल वर्ल्ड रिजल्ट्स विषय पर रिसर्च स्कालर्स डे 2025 का आयोजन हुआ। तीन दिवसीय आयोजन के उद्घाटन सत्र में शोधार्थी&comma; पूर्ववर्ती छात्र और प्राध्यापक शामिल हुए। इस अवसर पर अकादमिक शोध के व्यावहारिक क्रियान्वयन और शोध के जरिए समाज में प्रभावशाली योगदान सुनिश्चित करने परिचर्चा हुई। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए चेयरपर्सन&comma; डाक्टोरल प्रोग्राम प्रो&period; मनीष बंसल ने सभी शोधार्थियों को समर्पण के साथ शोध करने की प्रेरणा दी। कहा कि अपने शोध से समाज को स्थायी समाधान और प्रभावशाली परिणाम देने का प्रयास करें। उन्होंने कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियों पर चर्चा की&comma; इनमें वन स्लाइड थ्री मिनट चैलेंज&comma; इन्फोग्राफिक एक्सप्लेनर्स और फुल पेपर प्रेजेंटेशन में प्रतिभागियों को शामिल होकर बेहतर प्रदर्शन करने का सुझाव दिया। प्रो&period; बंसल ने आइआइएम रांची की ओर से किए जा रहे शोध और उसकी बढ़ती प्रतिष्ठा पर हर्ष व्यक्त किया। कहा कि इससे संस्थान के शोध नेटवर्क को और भी मजबूती मिली है। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanews18&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2025&sol;10&sol;1000135444-1024x708&period;jpg" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-4628"&sol;><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>आइआइएम रांची जर्नल आफ मैनेजमेंट स्टडीज &lpar;आइआरजेएमएस&rpar; के संपादक प्रो&period; आदित्य शंकर मिश्रा ने अकादमिक विकास के लिए शोधार्थियों की भूमिका पर चर्चा की। कहा कि शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए शोधार्थी अहम भूमिका अदा करते हैं। आइआरजेएमएस शोधार्थियों को लगातार उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र&comma; बौद्धिक रूप से प्रेरक शोध &&num;8211&semi; जो आधुनिक चुनौतियों का समाधान दें और व्यावहारिक दृष्टिकोण देने वाले शोध पत्र पर काम करने की प्रेरणा दे रहा है। नतीजतन आइआइएम रांची स्थानीय रूप से प्रासंगिक और वैश्विक प्रभाव वाले शोध करने में सफल हुआ है। इससे आइआरजेएमएसकी लोकप्रियता अकादमिक क्षेत्र में बढ़ी है। फलस्वरूप आइआइएम रांची के शोध पत्रों को 40 से अधिक देशों में 1&period;2 लाख से अधिक बार डाउनलोड किया गया है&comma; जो अकादमिक समुदाय के बीच शोध पत्र की विश्वसनीयता को दर्शाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanews18&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2025&sol;10&sol;1000135446-1024x719&period;jpg" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-4627"&sol;><&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>निदेशक प्रो&period; दीपक श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा शोध के प्रति जागरूकता विकसित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है&comma; पर एक बार इसे आत्मसात कर लिया जाए तो यह प्रभावी परिणाम दे सकता है। शोधार्थी संस्थान के अकादमिक पाठ्यक्रम और शोध पद्धति को सुदृढ़ करने में विशेष भूमिका अदा करते है। शोध गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आधार है और जब संकाय सदस्य सक्रिय रूप से शोध में संलग्न रहते हैं तो विद्यार्थी भी बेहतर शिक्षण अनुभव प्राप्त करते हैं। आइआइएम रांची ने यूएनडीपी के सतत विकास लक्ष्यों &lpar;एसडीजी&rpar; के अनुरूप 180 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं&comma; जो संस्थान को सामाजिक विकास के प्रति उत्तरदायी और सतत शोध के प्रति गंभीर दर्शाता है। आयोजन में सीईओ&comma; ईग्रो फाउंडेशन और पंजाब एंड सिंध बैंक के पूर्व अध्यक्ष डा&period; चरण सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने शोधार्थी जीवन के अपने अनुभव साझा किया। उन्होंने सफल शोध के लिए दृढ़संकल्पित होकर समय को महत्व देने की बात कही। कहा कि शोधार्थी अकादमिक जगत के सिपाही हैं जो अपने शोध से समाज के लिए नए दृष्टिकोण उपलब्ध करते हैं। उन्होंने शोधार्थियों को अपने मार्गदर्शकों की आलोचनाओं को रचनात्मक रूप से स्वीकार करने की सलाह दी। उन्होंने प्रभावी शोध के चार सिद्धांत नीति-उन्मुख&comma; विश्वसनीय&comma; स्पष्ट उद्देश्यऔर विषय को किसी एजेंडा से प्रभावित न रखने को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने शोधार्थियों को विकसित भारत के लक्ष्य रखते हुए अपने शोध कार्यों को पूरा करने की प्रेरणा दी। समापन सत्र में एलुमनी पैनल डिस्कशन के साथ आयोजित तीन प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। अंकित कुमार सिन्हा को बेस्ट फुल पेपर प्रेजेंटेशन का पुरस्कार दिया गया। वहीं&comma; निस्तला जगन्नाथ शर्मा ने वन स्लाइड &&num;8211&semi; थ्री मिनट चैलेंज और रम्यानी कुंडू इन्फोग्राफिक एक्सप्लेनर्स प्रतियोगिता की विजेता चुनी गई।<br><strong>Maurya News18 Ranchi&period;<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;

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