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DSPMU : विरासत और संस्कृति के तौर पर जनजातीय कला, साहित्य पर जाने क्या हुई चर्चा…

– DSPMU में दो दिवसीय ग्लोबल हेरिटेज कान्क्लेव का किया गया उद्घाटन

रांची : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी रांची (DSPMU Ranchi) और हेरिटेज सोसाइटी के सहयोग से दो दिवसीय ग्लोबल हेरिटेज कान्क्लेव की शुरुआत की गई। दो दिवसीय समारोह का मुख्य विषय जनजातीय धरोहर पर आपसी विमर्श और व्याख्यान है। जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर विद्वतजन शामिल होंगे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि जनजातीय विशेषज्ञ और पद्मश्री अशोक भगत थे। समारोह की अध्यक्षता डीएसपीएमयू के कुलपति डा. तपन कुमार शांडिल्य ने की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई। इसके बाद हेरिटेज सोसाइटी पटना के निदेशक डा. अनंत आशुतोष द्विवेदी के द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। उन्होंने विरासत और संस्कृति के तौर पर जनजातीय कला, साहित्य आदि की चर्चा की।

मुख्य वक्ता पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि जनजातीय धरोहर और संस्कृति को केवल संग्रहालयों तक ही सीमित नहीं रखा जाए बल्कि उनकी विशेषताओं से लोगों को अवगत कराया जाएं। उन्होंने पर्यटन, इतिहास, दर्शन, जनजातीय कला, पारंपरिक ज्ञान और साहित्य को जनजातीय धरोहर में शामिल करने की बात कही।

कुलपति डा. तपन कुमार शांडिल्य ने जनजातियों की विशेषताओं के संबंध में कहा कि उन्होंने अपनी परंपरा और विरासत को सुरक्षित रखा है, जो उनमें पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित हो रही हैं। उन्होंने जनजातियों के वन प्रबंधन और वातावरण के संरक्षण में योगदान की प्रशंसा करते हुए उनके औषधीय ज्ञान की सराहना की। कहा कि जनजातीय जीवन में उनके कला, संस्कृति, लोक नृत्य अहम भूमिका का निर्वहन करते हैं, जिनके द्वारा वे अपनी संस्कृति को संरक्षित रखते हैं। कहा कि उनकी पारंपरिक भाषा भी उनके विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मुख्य वक्ता के तौर पर भारत अध्ययन केंद्र बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सदस्य प्रो. विजय कुमार शुक्ला के द्वारा जनजातीय धरोहर के विशेषताओं की चर्चा की गई। उक्त जानकारी देते पीआरओ प्रो. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम में आइसीपीआर नई दिल्ली के सदस्य सचिव डा. सच्चिदानंद मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए उद्घोष वोकल फार लोकल की महत्ता बताई।

उद्घाटन सत्र के बाद एक समानांतर सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें डा. रविंद्र कुमार चौधरी, कृति सेन, डा. धम्मरत्ना, डा. अजय कुमार सेठी और डा. स्मृति सरकार ने व्याख्यान दिए। अंत में डा. रत्ना सिंह द्वारा लिखित पुस्तक थारू जनजाति एक विमर्श का विमोचन किया गया।

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