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BAU : राज्य में मिलेट्स की खेती को दिया जा रहा बढ़ावा : VC

&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-gallery has-nested-images columns-default is-cropped wp-block-gallery-1 is-layout-flex wp-block-gallery-is-layout-flex">&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img data-id&equals;"1035" src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanewslive18&period;files&period;wordpress&period;com&sol;2023&sol;11&sol;5fffc-img-20230516-wa0027&period;jpg&quest;w&equals;1024&&num;038&semi;h&equals;994" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-1035" &sol;><&sol;figure>&NewLine;<&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>कृषि निदेशालय झारखंड द्वारा 17 मई को राज्य स्तरीय खरीफ कर्मशाला सह मिलेट्स मिशन कार्यक्रम में पूरे राज्य में मिलेट्स संबंधी रोड मैप की रणनीति तय किए जाने की संभावना<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-gallery has-nested-images columns-default is-cropped wp-block-gallery-2 is-layout-flex wp-block-gallery-is-layout-flex">&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img data-id&equals;"1041" src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanewslive18&period;files&period;wordpress&period;com&sol;2023&sol;11&sol;eff94-img-20230519-wa0028&period;jpg&quest;w&equals;1024&&num;038&semi;h&equals;484" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-1041" &sol;><&sol;figure>&NewLine;<&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>Ranchi &colon; वैश्विक स्तर पर भारत सहित सभी देशों में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 मनाया जा रहा है। Birsa Agriculture University के कुलपति डा ओंकार नाथ सिंह की पहल पर गर्मियों में मिलेट्स फसल के शोध कार्य को बढ़ावा देने का अवसर विज्ञानियों को मिल रहा है। कृषि निदेशालय झारखंड द्वारा 17 मई को राज्य स्तरीय खरीफ कर्मशाला सह मिलेट्स मिशन कार्यक्रम में पूरे राज्य में मिलेट्स संबंधी रोड मैप की रणनीति तय किए जाने की संभावना है। VC की अध्यक्षता में 20 एवं 21 मई को होने वाली खरीफ शोध परिषद की बैठक और आगामी प्रसार परिषद की बैठक में राज्य के लिए विशेष शोध एवं प्रसार कार्यक्रम की रणनीति तय की जाएगी। हाल में हुई बीज परिषद की बैठक में बीएयू अधीनस्थ बीज उत्पादन यूनिट्स में मिलेट्स फसलों के गुणवत्तायुक्त प्रजनक बीज&comma; आधार बीज एवं प्रमाणित बीज का अधिक से अधिक उत्पादन की रणनीति तय की गई है। बीएयू द्वारा राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशाला का आयोजन केवीके के माध्यम से व्यापक जागरूकता अभियान एवं प्रत्यक्षणों के माध्यम से राज्य में मिलेट्स फसलों की खेती को बढ़ावा देने की योजना है। कुलपति बताते हैं कि राज्य में पूर्व काल से मिलेट्स खेती होती आ रही है। हरित क्रांति के दौर में मिलेट्स की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ा। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-gallery has-nested-images columns-default is-cropped wp-block-gallery-3 is-layout-flex wp-block-gallery-is-layout-flex">&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img data-id&equals;"1038" src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanewslive18&period;files&period;wordpress&period;com&sol;2023&sol;11&sol;e4ee9-img-20230516-wa0029&period;jpg&quest;w&equals;1024&&num;038&semi;h&equals;669" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-1038" &sol;><&sol;figure>&NewLine;<&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>प्रदेश में मिलेट्स में रागी &lpar;मडुआ&rpar;&comma; ज्वार और बाजरा आदि प्रमुख खाद्य फसलें है और कमोबेश सभी जिलों में मोटे अनाजों में मडुआ की खेती की जाती है। बताया कि व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में गत वर्ष विभिन्न जिलों के कुल 300 ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।विशेषज्ञों द्वारा मिलेट्स के मूल्यवर्द्धित दर्जनों उत्पादों को बनाने&comma; पैकेजिंग एवं विपणन की जानकारी दी जाती है। कृषि स्नातक छात्रों को भी मिलेट्स फसलों के प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्द्धन के बारे में बताया जाता है। राज्य के किसान बीएयू के अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग&comma; बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशालय एवं कृषि विज्ञान केंद्रों से निश्शुल्क तकनीकी जानकारी और निर्धारित दर पर प्रमाणित बीज खरीद सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-gallery has-nested-images columns-default is-cropped wp-block-gallery-4 is-layout-flex wp-block-gallery-is-layout-flex">&NewLine;<figure class&equals;"wp-block-image size-large"><img data-id&equals;"1036" src&equals;"https&colon;&sol;&sol;mauryanewslive18&period;files&period;wordpress&period;com&sol;2023&sol;11&sol;0c9ec-img-20230516-wa0028&period;jpg&quest;w&equals;702&&num;038&semi;h&equals;1024" alt&equals;"" class&equals;"wp-image-1036" &sol;><&sol;figure>&NewLine;<&sol;figure>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विज्ञानी खेती पर किया जा रहा फोकस &colon;<br>कुलपति बताते हैं कि स्थानीय प्रभेदों की परंपरागत खेती की जगह उन्नत किस्मों की विज्ञानी खेती से कम लागत में अधिक उपज एवं लाभ लिया जा सकता है। बीएयू अधीन संचालित आईसीएआर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान स्माल मिलेट परियोजना में किसानों के खेतों में कराए गए प्रत्यक्षणों और प्रायोगिक प्रक्षेत्रों में उन्नत किस्मों की उपज क्षमता 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिली है। प्रदेश के अनुकूल अधिक उपज देने वाली 4 उन्नत किस्मों को विकसित करने में बीएयू विज्ञानियों को सफलता मिली है। बीएयू के सामुदायिक विज्ञान विभाग में प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्द्धन से मिलेट्स फसलों के उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।<&sol;p>&NewLine;

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