Home खबर माइक्रोबायोम, बायोफर्टिलाइजर, सूखा-प्रतिरोधी किस्मों पर शोध के लिए किया प्रेरित…

माइक्रोबायोम, बायोफर्टिलाइजर, सूखा-प्रतिरोधी किस्मों पर शोध के लिए किया प्रेरित…

– अनुसंधान केंद्र रांची में परिषद के चौथे पंचवार्षिक समीक्षा दल (QRT) की हुई बैठक

– अनुसंधान केंद्र रांची के प्रधान डा. अरुण कुमार सिंह ने समीक्षा दल को केंद्र की गतिविधियों से अवगत कराया

रांची : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर के कृषि प्रणाली का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र रांची में परिषद के चौथे पंचवार्षिक समीक्षा दल (QRT) की बैठक हुई। समीक्षा दल के अध्यक्ष प्रो. एसके चक्रवर्ती एवं सदस्य डा. एके पात्रा, डा. एस. रायजादा तथा डा. चंद्रहास द्वारा संस्थान की परियोजनाओं एवं अनुसंधान गतिविधियों का निरीक्षण एवं समीक्षा की गई। बैठक में केंद्र के मुख्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना के निदेशक डा. अनुप दास के साथ डा. कमल शर्मा (प्रमुख, पशुधन उत्पादन प्रबंधन प्रभाग) तथा डा. अभय कुमार (प्रभारी, पीएमई सेल) भी उपस्थित रहे। बैठक में संस्थान के अनुसंधान केंद्र रांची से लाभान्वित हुए प्रदेश के कुछ प्रगतिशील किसानों एवं उद्यमियों ने भी भाग लिया। बैठक के आरंभ में निदेशक डा. अनूप दास द्वारा अध्यक्ष एवं सदस्यों का स्वागत किया गया एवं संस्थान की उपलब्धियों, कार्यक्षेत्र एवं तकनीकों का विवरण प्रस्तुत किया गया। प्रधान डा. अरुण कुमार सिंह ने समीक्षा दल को केंद्र की गतिविधियों से अवगत कराया। दल के अध्यक्ष ने कहा अन्य सरकारी अनुसंधान संस्थाओं के साथ मिलकर सहभागी कृषि अनुसंधान करने का परामर्श दिया। उन्होंने माइक्रोबायोम, बायोफर्टिलाइजर, सूखा-प्रतिरोधी किस्मों पर शोध के लिए प्रेरित किया। समिति के सदस्य डा. एके पात्रा ने जलवायु-अनुकूल समेकित कृषि प्रणाली माडल पर शोध करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने बदलती जलवायु को ध्यान में रखते हुए भूमि क्षय की समस्या, कार्बन सिक्वेसट्रेशन, प्राकृतिक संसाधनों के कुशल करने पर बल दिया। सदस्य डा. एस. रायजादा ने किसानों को समुचित प्रशिक्षण के बाद समेकित कृषि प्रणाली में मत्स्यपालन की बायोफ्लाक विधि को शामिल करने की आवश्यकता जताई। सदस्य डा. चंद्रहास ने फल बागों मंध कीट प्रबंधन के लिए बैकयार्ड कुक्कुटपालन का समावेश करने की सलाह दी। दल द्वारा केंद्र के प्रक्षेत्र में चल रहे प्रयोगों एवं प्रदर्शित तकनीकों जैसे ड्रिप मल्चिंग, आम की बहुस्तरीय फसल प्रणाली, परवल मदर ब्लाक, बीज उत्पादन इकाई, केंचुआ खाद इकाई, झारखंड की देशी मुर्गियों के जर्मप्लाज्म, आम, लीची एवं अमरूद की सघन बागवानी, ड्रैगन फ्रूट उत्पादन, समेकित कृषि प्रणाली इकाई आदि का निरीक्षण किया गया।

किसान व उद्यमियों ने लिया हिस्सा :
केंद्र से जुड़े एबीआइ इंक्यूबेटी एवं कृषि उद्यमी टाटीसिल्वे के श्रवण कुमार, ग्राम सपारोम के किसान राजेश मुंडा, खरसीदाग की अलबीना एक्का, मल्टी की मुन्नी कच्छप तथा कुटियातु के बंधना उरांव ने केंद्र द्वारा विकसित उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी जीविका में हुए सुधार एवं सफलता की कहानी साझा की। इसके बाद समिति द्वारा अनुसंधान केंद्र प्लांडु के फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम के तहत नामकुम प्रखंड के ग्राम पिंडारकोम के प्रगतिशील कृषक क्रिस्टोफर मिंज के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया गया। समीक्षा दल द्वारा क्रिस्टोफर मिंज की एक हेक्टेयर भूमि में समेकित कृषि प्रणाली (फलदार पौधे  सब्जियां, मुर्गी पालन, बकरी पालन, केंचुआ खाद निर्माण) का अवलोकन किया गया। इसकी सराहना करते हुए उपस्थित अन्य किसानों को इस कृषि प्रणाली को अपनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में तेतरी एवं प्लांडु गांवों के लगभग 20 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम के प्रधान अन्वेषक डा. वीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि उन्नत कृषि तकनीक को अपनाने से इस प्रोग्राम के लाभार्थी किसानों की आमदनी विगत 7 वर्षों में दोगुनी हो गई है। इस अवसर पर समीक्षा दल के अध्यक्ष, सदस्यगण एवं निदेशक द्वारा केंद्र में पौधरोपण भी किया गया।

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